कन्या पूजन के दौरान ध्यान रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें
कन्या पूजन का महत्व
2 से 9 वर्ष की कन्याएं मां दुर्गा का स्वरूप मानी जाती हैं
Kanya Pujan Niyam, नई दिल्ली: शारदीय नवरात्रि का पर्व अपने चरम पर है। विशेष रूप से अष्टमी और नवमी तिथि का महत्व अत्यधिक होता है। इन तिथियों पर कन्या पूजन अनिवार्य है। बिना कन्या पूजन के नवरात्रि के नौ दिन का व्रत अधूरा रहता है। इस दिन हवन और कन्या पूजन का आयोजन किया जाता है। नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। 2 से 9 वर्ष की कन्याओं को मां दुर्गा का रूप माना जाता है।
कन्या पूजन की प्रक्रिया
नवरात्रि के समापन पर कन्याओं की पूजा की जाती है। उन्हें आदरपूर्वक भोजन कराया जाता है, उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया जाता है और उपहार दिए जाते हैं। इस वर्ष 30 सितंबर को नवरात्र की अष्टमी और 1 अक्टूबर को नवमी तिथि है। कुछ लोग अष्टमी को कन्या पूजन करते हैं, जबकि अन्य नवमी को। कन्या पूजन के दौरान कुछ गलतियों से बचना आवश्यक है।
कन्या पूजन में ध्यान देने योग्य बातें
- कन्या पूजन के दौरान की गई गलतियां मां दुर्गा को नाराज कर सकती हैं। ये गलतियां नवरात्रि के व्रत को सफल नहीं होने देतीं और पूजा का फल भी नहीं मिलता।
- कन्याओं का सम्मान करें और किसी भी प्रकार का अपमान न करें।
- भोजन में केवल सात्विक चीजें परोसें, खट्टी चीजें न दें।
- कन्याओं को भेंट में अशुभ वस्तुएं न दें, जैसे काले रंग की चीजें या नुकीली वस्तुएं।
- कन्या पूजन में स्टील के बर्तन न दें, क्योंकि इसका संबंध शनि से है। यदि बर्तन देना हो, तो तांबे या पीतल के दें।
- लेदर या चमड़े की वस्तुएं भी न दें, ऐसा करना अशुभ माना जाता है।