कन्या संक्रांति 2025: सूर्य देव की पूजा और दान का महत्व
कन्या संक्रांति का महत्व
कन्या संक्रांति 2025: सूर्य देव को आत्मा का कारक माना जाता है और उन्हें ग्रहों का राजा भी कहा जाता है। ब्रह्माण्ड में ऊर्जा और प्रकाश का मुख्य स्रोत सूर्य नारायण की पूजा की जाती है। जब सूर्य देव कन्या राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे कन्या संक्रांति कहा जाता है। इस वर्ष, कन्या संक्रांति का पर्व 17 सितंबर को मनाया जाएगा। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन सूर्य देव की पूजा, दान और स्नान करने से पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस अवसर पर पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति के उपाय करना विशेष फलदायी माना जाता है। तर्पण, पिंडदान और पंचबलि कर्म करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
पुण्य काल और महापुण्य काल
पुण्य काल: दोपहर 01:46 बजे से शाम 06:19 बजे तक (अवधि: लगभग 4 घंटे 33 मिनट)
महापुण्य काल: दोपहर 01:46 बजे से 03:31 बजे तक (अवधि: लगभग 1 घंटा 45 मिनट)
दान का महत्व
कन्या संक्रांति पर जरूरतमंदों और गरीबों को दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। विशेष रूप से:
वस्त्र: नए या साफ कपड़े दान करें।
अनाज: गेहूं, चावल, दाल आदि का दान करें।
गुड़ और तिल: इनका दान विशेष पुण्यकारी होता है।
दक्षिणा: दान-पुण्य के साथ ब्राह्मण या जरूरतमंद को दक्षिणा देना भी आवश्यक है।