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कन्या संक्रांति: सूर्य देव के 108 नामों का जाप करें, मिलेगी कृपा

कन्या संक्रांति का पर्व आज मनाया जा रहा है, जब सूर्य देव कन्या राशि में प्रवेश करते हैं। इस दिन श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान कर पूजा करते हैं और अपनी सामर्थ्यानुसार दान करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा और दान से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है, जिससे शारीरिक और मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है। जानें इस अवसर पर सूर्य देव के 108 नामों का जाप कैसे करें और उनकी कृपा कैसे प्राप्त करें।
 

कन्या संक्रांति का महत्व


पवित्र नदियों में स्नान और दान का महत्व
कन्या संक्रांति का पर्व सूर्य देव के कन्या राशि में प्रवेश के दिन मनाया जाता है। सूर्य देव एक राशि में 30 दिन बिताते हैं और फिर राशि परिवर्तन करते हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, आज 17 सितंबर को कन्या संक्रांति का उत्सव है। इस अवसर पर, श्रद्धालु गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान कर सूर्य देव की पूजा करते हैं।


इसके बाद, श्रद्धालु अपनी सामर्थ्यानुसार दान करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पूजा, जप और दान करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है, जिससे व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही, करियर और व्यवसाय में नई संभावनाएं खुलती हैं।


सूर्य देव के नामों का जाप

यदि आप भी सूर्य देव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो कन्या संक्रांति के दिन भक्ति भाव से उनकी पूजा करें। पूजा के दौरान सूर्य देव के नामों का जाप करना न भूलें।


सूर्य देव के 108 नाम

1. ॐ नित्यानन्दाय नम:।


2. ॐ निखिलागमवेद्याय नम:।


3. ॐ दीप्तमूर्तये नम:।


4. ॐ सौख्यदायिने नम:।


5. ॐ श्रेयसे नम:।


6. ॐ श्रीमते नम:।


7. ॐ अं सुप्रसन्नाय नम:।


8. ॐ ऐं इष्टार्थदाय नम:।


9. ॐ सम्पत्कराय नम:।


10. ॐ हिरण्यगर्भाय नम:।


11. ॐ तेजोरूपाय नम:।


12. ॐ परेशाय नम:।


13. ॐ नारायणाय नम:।


14. ॐ कवये नम:।


15. ॐ सूर्याय नम:।


16. ॐ सकलजगतांपतये नम:।


17. ॐ सौख्यप्रदाय नम:।


18. ॐ आदिमध्यान्तरहिताय नम:।


19. ॐ भास्कराय नम:।


20. ॐ ग्रहाणांपतये नम:।


21. ॐ वरेण्याय नम:।


22. ॐ तरुणाय नम:।


23. ॐ परमात्मने नम:।


24. ॐ हरये नम:।


25. ॐ रवये नम:।


26. ॐ अहस्कराय नम:।


27. ॐ परस्मै ज्योतिषे नम:।


28. ॐ अमरेशाय नम:।


29. ॐ अच्युताय नम:।


30. ॐ आत्मरूपिणे नम:।


31. ॐ अचिन्त्याय नम:।


32. ॐ अन्तर्बहि: प्रकाशाय नम:।


33. ॐ अब्जवल्लभाय नम:।


34. ॐ कमनीयकराय नम:।


35. ॐ असुरारये नम:।


36. ॐ उच्चस्थान समारूढरथस्थाय नम:।


37. ॐ जन्ममृत्युजराव्याधिवर्जिताय नम:।


38. ॐ जगदानन्दहेतवे नम:।


39. ॐ जयिने नम:।


40. ॐ ओजस्कराय नम:।


41. ॐ भक्तवश्याय नम:।


42. ॐ दशदिक्संप्रकाशाय नम:।


43. ॐ शौरये नम:।


44. ॐ हरिदश्वाय नम:।


45. ॐ शर्वाय नम:।


46. ॐ ऐश्वर्यदाय नम:।


47. ॐ ब्रह्मणे नम:।


48. ॐ बृहते नम:।


49. ॐ घृणिभृते नम:।


50. ॐ गुणात्मने नम:।


51. ॐ सृष्टिस्थित्यन्तकारिणे नम:।


52. ॐ भगवते नम:।


53. ॐ एकाकिने नम:।


54. ॐ आर्तशरण्याय नम:।


55. ॐ अपवर्गप्रदाय नम:।


56. ॐ सत्यानन्दस्वरूपिणे नम:।


57. ॐ लूनिताखिलदैत्याय नम:।


58. ॐ खद्योताय नम:।


59. ॐ कनत्कनकभूषाय नम:।


60. ॐ घनाय नम:।


61. ॐ कान्तिदाय नम:।


62. ॐ शान्ताय नम:।


63. ॐ लुप्तदन्ताय नम:।


64. ॐ पुष्कराक्षाय नम:।


65. ॐ ऋक्षाधिनाथमित्राय नम:।


66. ॐ उज्ज्वलतेजसे नम:।


67. ॐ ऋकारमातृकावर्णरूपाय नम:।


68. ॐ नित्यस्तुत्याय नम:।


69. ॐ ऋजुस्वभावचित्ताय नम:।


70. ॐ ऋक्षचक्रचराय नम:।


71. ॐ रुग्घन्त्रे नम:।


72. ॐ ऋषिवन्द्याय नम:।


73. ॐ ऊरुद्वयाभावरूपयुक्तसारथये नम:।


74. ॐ जयाय नम:।


75. ॐ निर्जराय नम:।


76. ॐ वीराय नम:।


77. ॐ ऊर्जस्वलाय नम:।


78. ॐ हृषीकेशाय नम:।


79. ॐ उद्यत्किरणजालाय नम:।


80. ॐ विवस्वते नम:।


81. ॐ ऊर्ध्वगाय नम:।


82. ॐ उग्ररूपाय नम:।


83. ॐ उज्ज्वल नम:।


84. ॐ वासुदेवाय नम:।


85. ॐ वसवे नम:।


86. ॐ वसुप्रदाय नम:।


87. ॐ सुवर्चसे नम:।


88. ॐ सुशीलाय नम:।


89. ॐ सुप्रसन्नाय नम:।


90. ॐ ईशाय नम:।


91. ॐ वन्दनीयाय नम:।


92. ॐ इन्दिरामन्दिराप्ताय नम:।


93. ॐ भानवे नम:।


94. ॐ इन्द्राय नम:।


95. ॐ इज्याय नम:।


96. ॐ विश्वरूपाय नम:।


97. ॐ इनाय नम:।


98. ॐ अनन्ताय नम:।


99. ॐ अखिलज्ञाय नम:।


100. ॐ अच्युताय नम:।


101. ॐ अखिलागमवेदिने नम:।


102. ॐ आदिभूताय नम:।


103. ॐ आदित्याय नम:।


104. ॐ आर्तरक्षकाय नम:।


105. ॐ असमानबलाय नम:।


106. ॐ करुणारससिन्धवे नम:।


107. ॐ शरण्याय नम:।


108. ॐ अरुणाय नम:।