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करवा चौथ 2025: चांद निकलने का समय और पूजा विधि

करवा चौथ 2025 का पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। यह त्योहार पति की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना के लिए मनाया जाता है। इस साल करवा चौथ 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा, जब चांद रात 8:47 बजे निकलेगा। जानें इस दिन की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से।
 

करवा चौथ 2025: चांद कब निकलेगा?

करवा चौथ का पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह त्योहार पति की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना के लिए मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं और रात में चांद के दर्शन के बाद अपना व्रत समाप्त करती हैं। इस साल करवा चौथ कब है, चांद कब निकलेगा और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या होगा, आइए जानते हैं।


करवा चौथ का महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार, करवा चौथ हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए पति की लंबी आयु और स्वास्थ्य की कामना का प्रतीक है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से लेकर चांद के दर्शन तक उपवास करती हैं। चांद को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत पूरा होता है। यह त्योहार पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास को और मजबूत करता है। शाम को महिलाएं एकत्र होकर करवा माता की पूजा करती हैं और कथा सुनती हैं।


करवा चौथ 2025 की तारीख और शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर 2025 को रात 10:54 बजे शुरू होगी और 10 अक्टूबर 2025 को शाम 7:38 बजे समाप्त होगी। इसलिए करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को रखा जाएगा। पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:16 बजे से 6:29 बजे तक रहेगा, जिसमें सुहागिनों को पूजा के लिए लगभग 1 घंटे 13 मिनट का समय मिलेगा।


चांद निकलने का समय

करवा चौथ का सबसे महत्वपूर्ण क्षण चांद का दर्शन होता है। इस दिन महिलाएं चांद निकलने का बेसब्री से इंतजार करती हैं। पंचांग के अनुसार, 10 अक्टूबर 2025 को रात 8:47 बजे चांद निकलेगा। इस समय महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देकर और पति को छलनी से देखकर अपना व्रत समाप्त करती हैं।


करवा चौथ की पूजा विधि

करवा चौथ का व्रत भगवान गणेश, करवा माता, भगवान शिव, माता पार्वती और कार्तिकेय को समर्पित होता है। सुहागिन महिलाएं सुबह स्नान कर लाल वस्त्र पहनती हैं और व्रत का संकल्प लेती हैं। एक चौकी पर करवा माता की तस्वीर स्थापित करें और एक करवा रखें। माता को फल, फूल, मिठाई आदि अर्पित करें। इसके बाद करवा चौथ की कथा सुनें।


शाम को शुभ मुहूर्त में करवा माता की पूजा करें और हलवा-पूरी का भोग लगाएं। रात में चांद निकलने पर छलनी में दीपक रखकर चंद्रमा को देखें और अर्घ्य दें। फिर छलनी से पति का चेहरा देखकर उनकी लंबी उम्र की कामना करें। अंत में पति के हाथों से पानी या भोजन लेकर व्रत तोड़ें। मान्यता है कि चतुर्थी तिथि पर चंद्रदेव की पूजा से सुखी वैवाहिक जीवन मिलता है।