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करवा चौथ: जानें इस व्रत का महत्व और पूजा विधि

करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें वे अपने पति की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं। इस लेख में करवा चौथ के इतिहास, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और ग्रहों के प्रभाव के बारे में जानकारी दी गई है। जानें कैसे इस दिन की पूजा से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और इसके लाभ क्या हैं।
 

पति की लंबी उम्र के लिए व्रत


करवा चौथ का महत्व: यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए इस दिन व्रत करती हैं। यह दांपत्य प्रेम, सामाजिक एकता और स्त्री-शक्ति की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।


करवा चौथ का ऐतिहासिक संदर्भ

इस व्रत का इतिहास पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। एक कथा के अनुसार, करवा नाम की एक महिला ने अपने पति की रक्षा यमराज से की थी। उसकी निष्ठा और दृढ़ता से प्रभावित होकर यमराज ने उसके पति को जीवनदान दिया। इसी कारण से करवा चौथ का व्रत मनाया जाता है।


पूजा का शुभ मुहूर्त

इस वर्ष करवा चौथ पर चंद्रमा कृतिका नक्षत्र में प्रकट होगा। चंद्रमा निकलने का समय 7:57 बजे है। पूजा का शुभ मुहूर्त 10 अक्टूबर 2025 को शाम 07:05 से 08:55 तक रहेगा।


ग्रहों का प्रभाव

इस बार करवा चौथ पर ग्रहों का विशेष योग बन रहा है। शनि मीन राशि में, गुरु और चंद्रमा मिथुन राशि में, और शुक्र तथा सूर्य कन्या राशि में रहेंगे। इन ग्रहों का प्रभाव शुभ माना जाता है।


अखंड सौभाग्य का व्रत

यह व्रत विशेष रूप से सुहागिनों के लिए अखंड सौभाग्य लाने वाला माना जाता है। इस दिन मां पार्वती, भगवान शिव, कार्तिकेय और गणेश का पूजन किया जाता है। महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं और चंद्र दर्शन के बाद अपना व्रत खोलती हैं।


करवा चौथ पूजा विधि


  • सरगी: सूर्योदय से पहले सास द्वारा दिया गया भोजन ग्रहण करें।

  • पूजा: शाम को मिट्टी या लकड़ी की वेदी पर शिव-पार्वती, गणेश, स्वामी कार्तिकेय और चंद्रमा की स्थापना करें।

  • करवा चौथ कथा: करवा चौथ की कथा सुनें और व्रत की विधि पूरी करें।

  • चंद्र दर्शन: रात में चंद्रमा को देखकर अर्घ्य दें और व्रत का पारण करें।


करवा चौथ के लाभ


  • पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना पूरी होती है।

  • परिवार में सुख-शांति और संबंधों को मजबूत बनाता है।

  • स्त्री-शक्ति की निष्ठा और त्याग को दर्शाता है।