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करवा चौथ व्रत: पूजा विधि और पारण का समय जानें

करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के प्रेम का प्रतीक है, जो इस साल 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए उपवास करती हैं। जानें इस व्रत की पूजा विधि, चंद्रोदय का समय और पारण के नियम। यह जानकारी आपको इस विशेष दिन को सही तरीके से मनाने में मदद करेगी।
 

करवा चौथ का महत्व

करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के प्रेम का प्रतीक माना जाता है। यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस वर्ष, करवा चौथ 10 अक्टूबर को है, जब सुहागिन महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए उपवास करती हैं।


करवा चौथ व्रत का समय

हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 09 अक्टूबर को रात 10:54 बजे से शुरू होगी और 10 अक्टूबर को रात 07:37 बजे समाप्त होगी। इस प्रकार, करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर को रखा जाएगा।


पूजन का समय

  • शाम 05:57 बजे से शाम 07:11 बजे तक।
  • लाभ-उन्नति मुहूर्त: रात 09:02 बजे से 10:35 बजे तक।


चंद्रोदय और पारण का समय

करवा चौथ का चांद रात 08:13 बजे दिखाई देगा। इस समय व्रती चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपना उपवास खोल सकती हैं।


व्रत पारण के नियम

  • चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए जल में दूध, रोली, चावल और चीनी मिलाकर एक लोटे में तैयार रखें।
  • व्रत खोलने से पहले सबसे पहले छन्नी से चंद्रमा के दर्शन करें।
  • इसके बाद लोटे के जल से चंद्रमा को अर्घ्य दें और व्रत की सफलता तथा पति की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करें।
  • चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रती महिला को उसी छन्नी से अपने पति का चेहरा देखें।
  • इसके बाद पति अपनी पत्नी को जल पिलाकर निर्जला व्रत का पारण करवाएं।
  • व्रत का पारण करने के बाद सबसे पहले पानी और फिर कोई मीठी चीज जैसे मिठाई या फल ग्रहण करें।
  • व्रत खोलने के तुरंत बाद भारी या तला-भुना भोजन खाने से बचें।
  • व्रत के बाद सात्विक भोजन ही करें।
  • इस दिन तामसिक भोजन करने से बचें।