करवाचौथ 2025: व्रत की तिथि और पूजा विधि
करवाचौथ का महत्व
करवाचौथ का पर्व हर विवाहित महिला के लिए विशेष महत्व रखता है। यह त्योहार हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत करती हैं और चांद को देखने के बाद अपना व्रत खोलती हैं। मुख्य रूप से, यह पर्व उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और मध्य प्रदेश में धूमधाम से मनाया जाता है।
करवाचौथ की तिथि पर असमंजस
इस वर्ष करवाचौथ की तिथि को लेकर कुछ भ्रम की स्थिति बनी हुई है। 09 और 10 अक्टूबर 2025 को दोनों दिन चतुर्थी तिथि पड़ रही है, जिससे महिलाओं में यह संदेह है कि व्रत किस दिन रखा जाए। इस लेख में हम आपको सही तिथि के बारे में जानकारी देंगे।
शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, 09 अक्टूबर की शाम को चतुर्थी तिथि का आरंभ होगा, जो अगले दिन 10 अक्टूबर की शाम तक चलेगा। उदयातिथि के अनुसार, करवाचौथ का व्रत 10 अक्टूबर 2025 को रखा जाएगा। इस दिन चांद रात 08:15 बजे के आसपास निकलने की संभावना है, जो व्रत खोलने का शुभ समय माना जाता है।
पूजन विधि
इस दिन विवाहित महिलाओं को सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद सास द्वारा दी गई सरगी ग्रहण करें। पूरे दिन निर्जला व्रत रखने के बाद, शाम को लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। चौकी पर भगवान शिव, मां पार्वती, कार्तिकेय और भगवान गणेश की मूर्तियों को स्थापित करें।
एक लोटे में जल भरकर उस पर श्रीफल रखकर कलावा बांधें। फिर मिट्टी के टोंटीदार करवे में जल भरकर ढक्कन में मिठाई और दक्षिणा रखें और रोली से स्वास्तिक का निशान बनाएं।
धूप-दीप, अक्षत और फूल चढ़ाकर विधिविधान से भगवान का पूजन करें। इसके बाद करवा चौथ माता की कथा का पाठ करें या सुनें। चंद्रोदय के समय दर्शन करें और पूजा करें, फिर चंद्र देव को अर्घ्य देकर बड़ों का आशीर्वाद लें।