×

कांवड़ यात्रा 2025: शिव भक्तों की श्रद्धा का अनूठा पर्व

कांवड़ यात्रा 2025 का आयोजन सावन के महीने में होगा, जिसमें लाखों भक्त भगवान शिव को जल चढ़ाने के लिए निकलेंगे। यह यात्रा दिल्ली से उत्तराखंड की ओर जाएगी और इसके दौरान कई विशेष व्यवस्थाएं की जाएंगी। जानें इस यात्रा का ऐतिहासिक महत्व और यात्रा के विभिन्न चरणों के बारे में।
 

कांवड़ यात्रा 2025: एक धार्मिक परंपरा

कांवड़ यात्रा 2025: सावन का महीना आरंभ हो चुका है, जिसमें भगवान शिव के भक्त कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं। हर वर्ष लाखों श्रद्धालु अपने घरों से निकलकर इस यात्रा में शामिल होते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, और कांवड़ यात्रा मुख्यतः उत्तर भारत में देखी जाती है, जहां भक्त शिवजी पर गंगा जल चढ़ाते हैं।


कांवड़ यात्रा का ऐतिहासिक महत्व

कांवड़ यात्रा का इतिहास समुद्र मंथन से जुड़ा हुआ है, जब भगवान शिव ने विष का पान किया था, जिसके कारण उनका कंठ नीला हो गया। विष के प्रभाव को कम करने के लिए रावण ने कांवड़ में जल भरकर शिवजी का जलाभिषेक किया था। इसी दिन से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई, जो हर साल सावन में होती है। कांवड़िए इस यात्रा को अपने तरीके से करते हैं और ध्यान रखते हैं कि कांवड़ को नीचे न रखें। यह यात्रा 24 घंटे में पूरी की जाती है।


यात्रा का प्रारंभिक चरण

यह यात्रा दिल्ली से उत्तराखंड की ओर जाती है और 10 जुलाई 2025 को शुरू होगी। यात्रा दोपहर 12 बजे आरंभ होगी, और इस दिन से मुख्य मार्ग पर बड़े वाहनों का आना बंद कर दिया जाएगा।


यात्रा का अंतिम चरण

इस यात्रा को पांच चरणों में आयोजित किया जाएगा, जिसमें आम जनता के लिए भी योजनाएं बनाई गई हैं। महिलाओं के लिए विशेष कैंप और सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। ट्रेन की छत पर चढ़ने से रोकने के लिए पुलिस अधिकारियों को सतर्क किया गया है, और खाने-पीने की व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। यात्रा के दौरान हर जगह पुलिस बल तैनात रहेगा ताकि कांवड़ियों को कोई समस्या न हो। शिवरात्रि के दिन प्रमुख मंदिरों पर ड्रोन से निगरानी रखी जाएगी।