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कारगिल विजय दिवस: वीर सैनिकों की अद्भुत कहानियाँ

कारगिल विजय दिवस पर, हम उन वीर सैनिकों की कहानियों को याद करते हैं जिन्होंने अपने बलिदान से देश की रक्षा की। इस दिन, 527 सैनिकों की शहादत को याद किया जाता है, जिनमें से कुछ ने अद्भुत साहस का परिचय दिया। योगेंद्र सिंह यादव जैसे वीर ने 15 गोलियाँ खाने के बाद भी दुश्मन को हराया, जबकि कैप्टन अनुज नय्यर ने अपनी मंगेतर को अंगूठी लौटाकर अपने बलिदान की गाथा लिखी। जानें इन वीरों की प्रेरणादायक कहानियाँ।
 

कारगिल विजय दिवस: बलिदान की कहानियाँ

कारगिल विजय दिवस: जब दो देशों के बीच युद्ध होता है, तो एक की हार और दूसरे की जीत होती है। इस जीत के पीछे अनेक सैनिकों और उनके परिवारों का बलिदान होता है। कारगिल युद्ध में 527 सैनिक शहीद हुए, जिनकी शहादत के बाद कई प्रेरणादायक कहानियाँ सामने आईं। इनमें से एक जवान ने अपनी मंगेतर को रिश्ता तोड़कर अंगूठी लौटाई, जबकि एक अन्य जवान को 15 गोलियाँ लगीं, फिर भी उसने दुश्मनों को पराजित किया। ऐसे वीरों की कुछ कहानियाँ यहाँ प्रस्तुत हैं।


15 गोलियाँ लगीं, फिर भी दुश्मन को हराया

ये शब्द परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र सिंह यादव के हैं। वह केवल 19 वर्ष की आयु में सेना में भर्ती हुए और तुरंत युद्ध में भेजे गए। योगेंद्र ने एक समाचार चैनल को बताया कि जब वे अपने साथियों के साथ टाइगर हिल पर पहुँचे, तो दुश्मनों ने उन पर ताबड़तोड़ गोलियाँ चलाईं, जिसमें उनके 6 साथी शहीद हो गए। योगेंद्र को भी 15 गोलियाँ लगीं, लेकिन दुश्मन को यह नहीं पता था कि वह अभी जीवित हैं। उन्होंने एक हैंड ग्रेनेड फेंका, जो दुश्मन के कोट में जाकर फट गया।


शहीद कैप्टन अनुज नय्यर की कहानी

शहीद कैप्टन अनुज नय्यर भी उन सैकड़ों शहीदों में से एक थे। उनके परिवार के अनुसार, वह नियमित रूप से घरवालों को पत्र लिखा करते थे, जिनमें पाकिस्तानी घुसपैठ के प्रति उनका गुस्सा झलकता था। उनकी माँ ने बताया कि जब अनुज मिशन पर निकले, तो उन्होंने अपनी इंगेजमेंट रिंग मुझे दे दी थी। उन्होंने कहा कि वह नहीं चाहते कि यह अंगूठी दुश्मन के हाथ लगे। अनुज की इच्छा थी कि यदि वह वापस नहीं आए, तो यह अंगूठी उनकी मंगेतर तक पहुँचाई जाए।