गणेश चतुर्थी 2025: उत्सव के दौरान भोग के 10 विशेष विचार
गणेश चतुर्थी का आगाज़
गणेश चतुर्थी, जो भारत के सबसे प्रिय त्योहारों में से एक है, 27 अगस्त 2025 से शुरू होने जा रहा है। यह दस दिवसीय उत्सव भगवान गणेश को समर्पित है, जो बाधाओं को दूर करने और ज्ञान के प्रतीक माने जाते हैं। इस दौरान घरों और सार्वजनिक पंडालों में भक्ति और उत्सव का माहौल होता है।त्योहार की शुरुआत गणपति की मिट्टी की मूर्तियों की स्थापना से होती है, जहां भक्त उन्हें मंत्रों और भजनों के साथ पूजा करते हैं। 'भोग' का महत्व इस उत्सव में विशेष होता है, क्योंकि भारतीय संस्कृति में भोजन को पवित्र माना जाता है। हर दिन एक विशेष पकवान के साथ भक्ति और कृतज्ञता व्यक्त की जाती है।
गणेश चतुर्थी 2025 के लिए भोग के दस विशेष विचार इस प्रकार हैं:
भोग के विशेष विचार
पहला दिन: मोदक – भगवान गणेश का प्रिय मिष्ठान। नारियल और गुड़ से भरे ये मीठे पकौड़े उत्सव की मिठास का प्रतीक हैं।
दूसरा दिन: श्रीखंड – मलाईदार दही से बना, यह पकवान उत्सव के भोजन में ताजगी लाता है।
तीसरा दिन: मोतीचूर लड्डू – सुनहरे रंग के ये लड्डू खुशी का प्रतीक माने जाते हैं।
चौथा दिन: पायसम – पारंपरिक दक्षिण भारतीय मिठाई, जो पोषण और भक्ति का प्रतिनिधित्व करती है।
पांचवां दिन: केला शीरा – मंदिरों में प्रसाद के रूप में बांटा जाने वाला यह पकवान पौष्टिकता का प्रतीक है।
छठा दिन: मेदू वड़ा – कुरकुरे और मुलायम, यह नमकीन भोग थाली में संतुलन लाता है।
सातवां दिन: नारियल चावल – पवित्रता और सुगंध का प्रतीक, यह दक्षिण भारतीय अनुष्ठानों में विशेष स्थान रखता है।
आठवां दिन: सतोरी – एक समृद्ध महाराष्ट्रीयन मीठी रोटी, जो उत्सव का आनंद बढ़ाती है।
नौवां दिन: पूरन पोली – चने की दाल और गुड़ से भरी यह रोटी उदारता का प्रतीक है।
दसवां दिन: रवा पोंगल – हल्का मसालेदार व्यंजन, जो त्योहार के समापन पर संतोष और कृतज्ञता का प्रतीक है।