गणेश चतुर्थी 2025: व्रत के नियम और पारण का सही समय
गणेश चतुर्थी का पर्व
Ganesh Chaturthi 2025 Vrat: हर वर्ष गणेश चतुर्थी का त्योहार पूरे देश में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। विशेष रूप से महाराष्ट्र और गुजरात में इस पर्व की धूम देखने लायक होती है। इस दिन भक्त गणपति बप्पा की खूबसूरत मूर्तियों को धूमधाम से पंडालों और अपने घरों में स्थापित करते हैं। यह पर्व हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था, इसलिए इसे 'गणेश जन्मोत्सव' के रूप में मनाया जाता है। भगवान गणेश को बुद्धि, ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, और उनकी पूजा सभी देवी-देवताओं से पहले की जाती है।
गणेश चतुर्थी 2025 की तिथि
द्रिक पंचांग के अनुसार, गणेश चतुर्थी का व्रत 27 अगस्त 2025, बुधवार को रखा जाएगा। इस दिन व्रत का पारण संध्या आरती के बाद या अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जा सकता है। जो भक्त गणेश चतुर्थी के दिन ही व्रत का पारण करेंगे, वे शाम 06:48 बजे सूर्यास्त के बाद उपवास खोल सकते हैं।
अगले दिन प्रात: 05:57 बजे सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करना शुभ माना जाता है। पारण करने से पहले गणेश जी की पूजा अवश्य करें और उन्हें उनकी प्रिय वस्तुओं का भोग अर्पित करें।
गणेश चतुर्थी व्रत में आहार
गणेश चतुर्थी का व्रत निर्जला या फलाहार दोनों तरीकों से रखा जा सकता है। निर्जला व्रत में जल और अन्न दोनों का सेवन वर्जित होता है। वहीं फलाहार व्रत में जल, ताजे फल, दूध, दही, साबूदाना, सिंघाड़ा, शकरकंद, कुट्टू के आटे से बने व्यंजन, तिल, गुड़, पनीर, सेंधा नमक और आलू खा सकते हैं। नमक, अन्न, तामसिक चीजें, मांस, मदिरा, हल्दी, लाल मिर्च, गरम मसाले और कटहल का सेवन वर्जित है।
व्रत का पारण कैसे करें?
गणेश चतुर्थी के व्रत का पारण पूजा के दौरान भगवान गणेश को अर्पित भोग को खाकर किया जा सकता है। इस दिन आप गणपति बप्पा को मोदक, मोतीचूर के लड्डू, जामुन, केले, तिल और गुड़ के लड्डू, पंचामृत, नारियल के लड्डू, सूजी का हलवा, पंचमेवा, गुड़, तिल, बेसन के लड्डू, गुड़ और चावल की खीर का भोग अर्पित कर सकते हैं।
गणेश चतुर्थी व्रत के नियम
- यदि व्रत का संकल्प लिया है तो उसे बीच में न तोड़ें।
- गणेश चतुर्थी व्रत की कथा जरूर सुनें या पढ़ें।
- व्रत के दौरान गुस्सा न करें और नकारात्मक चीजों से दूर रहें।
- शुद्ध कपड़े पहनकर और बिना मुंह झूठा किए बप्पा की पूजा करें।
- व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- गणेश जी को ताजगी और शुद्धता से भोग अर्पित करें।
- दिन में सोने से बचें।
- दिनभर बाल और नाखून न काटें।
- सिर ढककर ही पूजा करें।