गणेश चतुर्थी: जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
गणेश चतुर्थी का महापर्व
नई दिल्ली: भगवान गणेश, जो ज्ञान और बुद्धि के देवता माने जाते हैं, का जन्मोत्सव गणेश चतुर्थी का पर्व पूरे देश में बुधवार, 27 अगस्त को श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। यह पर्व हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, जिससे 10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव की शुरुआत होती है, जो अनंत चतुर्दशी को समाप्त होता है।
चतुर्थी तिथि का समय
पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि का आरंभ 26 अगस्त को दोपहर 01:54 बजे हो चुका है और इसका समापन 27 अगस्त को दोपहर 03:44 बजे होगा। उदया तिथि के अनुसार, गणेश चतुर्थी का मुख्य पर्व 27 अगस्त को मनाया जाएगा। भक्तगण अपने घरों में भगवान गणेश की नई मूर्ति स्थापित करेंगे और विधिपूर्वक उनकी पूजा करेंगे।
गणेश स्थापना का मुहूर्त
गणेश स्थापना का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त:
शास्त्रों के अनुसार, भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल में हुआ था, इसलिए मूर्ति स्थापना के लिए मध्याह्न का समय सबसे शुभ माना जाता है।
मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त: सुबह 11:05 से दोपहर 01:40 तक (बुधवार, 27 अगस्त)
कुल अवधि: 2 घंटे 34 मिनट
अन्य शुभ मुहूर्त
दिनभर रहेंगे पूजा के कई शुभ मुहूर्त:
यदि कोई भक्त मध्याह्न में पूजा नहीं कर पाते, तो उनके लिए दिनभर अन्य शुभ मुहूर्त भी उपलब्ध रहेंगे:
लाभ (उन्नति): सुबह 05:57 से 07:33 तक
अमृत (सर्वोत्तम): सुबह 07:33 से 09:09 तक
शुभ (उत्तम): सुबह 10:46 से दोपहर 12:22 तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:31 से 03:22 तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:48 से 07:10 तक
शुभ (उत्तम): रात्रि 08:12 से 09:35 तक
अमृत (सर्वोत्तम): रात्रि 09:35 से 10:59 तक
गणेश स्थापना की विधि
पूजा स्थल को साफ कर गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें।
लकड़ी की चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें। मूर्ति का मुख पूर्व दिशा में होना शुभ है।
मूर्ति के पास एक कलश में जल भरकर रखें और दाएं-बाएं रिद्धि-सिद्धि के प्रतीक के रूप में एक-एक सुपारी रखें।
ऊँ पुण्डरीकाक्षाय नमः मंत्र का जाप करते हुए अपने ऊपर जल छिड़कें और पूजन का संकल्प लें।
भगवान गणेश को पंचामृत से स्नान कराएं, फिर शुद्ध जल से स्नान कराकर वस्त्र पहनाएं।
गणपति को जनेऊ, चंदन, सिंदूर, दूर्वा, अक्षत, शमी पत्र, पीले पुष्प और फल अर्पित करें।
धूप-दीप जलाकर ॐ गणेशाय नमः मंत्र का जाप करते हुए पूजा करें।
बप्पा के प्रिय भोग जैसे मोदक या मोतीचूर के लड्डू अर्पित करें।
अंत में गणेश जी की आरती करें और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगें।