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गणेश चतुर्थी: लालबागचा राजा मंदिर की भव्यता और श्रद्धा

गणेश चतुर्थी का पर्व मुंबई में धूमधाम से मनाया जाता है, विशेषकर लालबागचा राजा मंदिर में। इस साल 22 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित की गई है, जो रामेश्वरम की पौराणिक कथा से प्रेरित है। भक्तों की भीड़ और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम इस उत्सव को और भी खास बनाते हैं। जानें इस मंदिर का इतिहास और दर्शन की प्रक्रिया के बारे में।
 

गणेश चतुर्थी का जश्न

मुंबई - हर वर्ष गणेश चतुर्थी का पर्व आते ही मुंबई की गलियों और मंदिरों में एक अद्भुत उत्सव का माहौल बन जाता है। ढोल-ताशों की धुन, बप्पा के स्वागत में गूंजते जयघोष, फूलों से सजे मंडल और लाखों की भीड़ इस त्योहार को खास बनाते हैं।


लालबागचा राजा का महत्व

बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर कोई इस पर्व का बेसब्री से इंतजार करता है। जब मुंबई की गणेश चतुर्थी की बात होती है, तो सबसे पहले लालबागचा राजा मंदिर का नाम लिया जाता है। यह मंदिर मुंबई का सबसे प्रसिद्ध सार्वजनिक गणेश मंडल है, जो लोगों की आस्था का प्रतीक है। लालबाग, परेल क्षेत्र में स्थित यह पंडाल हर साल गणेश चतुर्थी के दौरान भक्तों को आकर्षित करता है। यहां श्रद्धालु केवल दर्शन के लिए नहीं, बल्कि अपनी इच्छाओं को पूरा करने की आशा लेकर आते हैं। मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से लालबागचा राजा से प्रार्थना करता है, उसकी हर मुराद पूरी होती है। इसलिए इसे 'मन्नतों का राजा' भी कहा जाता है।


विशेष मूर्ति और सजावट

इस वर्ष यहां 22 फीट ऊंची गणपति की मूर्ति स्थापित की गई है, जो तमिलनाडु के रामेश्वरम की पौराणिक कथा से प्रेरित है। लालबागचा राजा मंडल के उपाध्यक्ष सिद्धेश कोरगावकर ने बताया कि यह लालबाग क्षेत्र का सबसे पुराना गणपति है। मूर्ति और सजावट में रामेश्वरम की थीम को दर्शाया गया है, जिसमें हनुमानजी भगवान शंकर का पिंड लेकर आते हैं।


इतिहास और परंपरा

लालबागचा राजा मंडल की स्थापना 1934 में हुई थी। लगभग नौ दशक पहले कुछ मछुआरों और दुकानदारों ने बप्पा से बाजार के लिए एक स्थायी स्थान की मन्नत मांगी थी। जब उनकी मन्नत पूरी हुई, तो उन्होंने आभार स्वरूप एक छोटी गणेश मूर्ति स्थापित की। तब से यह परंपरा आज तक जारी है।


दर्शन के लिए कतारें

लालबागचा राजा के दर्शन के लिए दो मुख्य कतारें होती हैं। पहली 'नवसाची लाइन' है, जिसमें वे लोग लगते हैं जो विशेष मन्नत लेकर बप्पा के चरणों तक जाना चाहते हैं। इस लाइन में दर्शन के लिए 25 से 40 घंटे तक का समय लग सकता है। दूसरी 'मुखदर्शन लाइन' है, जिसमें भक्त बप्पा को दूर से देख सकते हैं। यह लाइन छोटी होती है, लेकिन कभी-कभी यहां भी 4 से 5 घंटे लग जाते हैं। इस साल भी गणेश चतुर्थी पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। मंडल द्वारा सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और हजारों पुलिसकर्मी तथा स्वयंसेवक तैनात किए गए हैं ताकि भक्तों को कोई असुविधा न हो। पंडाल के अंदर श्रद्धालुओं के लिए मेडिकल सहायता, पानी और शौचालय जैसी सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।