गणेश चतुर्थी विशेष: भगवान श्री गणेश की पूजा का महत्व
भगवान शिव ने देवताओं का अहंकार तोड़ने के लिए प्रतियोगिता कराई
गणेश चतुर्थी विशेष: धार्मिक अनुष्ठान की शुरुआत में भगवान गणेश की पूजा का महत्व अत्यधिक है। मान्यता है कि किसी भी कार्य की सफलता के लिए गणेश जी की पूजा अनिवार्य है। प्राचीन काल से ही देवी-देवताओं की पूजा में गणेश जी को पहले स्थान पर रखा गया है। उनके ध्यान और आराधना से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और विघ्नों का नाश होता है।
क्या आपने कभी सोचा है कि गणेश जी की पूजा सबसे पहले क्यों की जाती है? इस लेख में हम आपको इस परंपरा के पीछे की पौराणिक कथा बताएंगे।
सभी देवताओं में श्रेष्ठता का विवाद
एक बार सभी देवताओं के बीच यह विवाद उत्पन्न हुआ कि सबसे पहले किसकी पूजा होनी चाहिए। सभी देवता अपने आप को श्रेष्ठ साबित करने में लगे थे।
जब इस विवाद का समाधान नहीं निकला, तो सभी देवता भगवान शिव के पास गए और उनसे मार्गदर्शन मांगा। भगवान शिव ने समझ लिया कि सभी देवता अहंकार से भरे हुए हैं।
भगवान शिव का निर्णय
भगवान शिव ने कहा कि जो भी देवता पूरे ब्रह्मांड की परिक्रमा करके सबसे पहले लौटेगा, वही पहले पूजा जाएगा। सभी देवता अपने-अपने वाहनों पर सवार होकर ब्रह्मांड की परिक्रमा करने निकल पड़े।
लेकिन गणेश जी ने सभी देवताओं की तरह परिक्रमा करने के बजाय भगवान शिव और माता पार्वती की सात परिक्रमा की और उनके सामने जाकर आशीर्वाद मांगा।
गणेश जी का विजय और उपाधि
जब अन्य देवता ब्रह्मांड की परिक्रमा करके लौटे, तब भगवान शिव ने गणेश जी को विजयी घोषित किया और उन्हें प्रथम पूज्यनीय देवता का दर्जा दिया।
यह सुनकर सभी देवता हैरान रह गए और भगवान शिव से पूछा कि आपने तो कहा था कि जो पहले आएगा, वही पूजा जाएगा। लेकिन गणेश जी तो यहीं खड़े थे।
भगवान शिव का उत्तर
भगवान शिव ने उत्तर दिया कि यह शास्त्रों में प्रमाणित है कि संपूर्ण ब्रह्मांड माता-पिता के चरणों में है। माता-पिता का स्थान सभी देवताओं से ऊँचा है। सभी देवताओं ने इस बात को स्वीकार किया और गणेश जी को प्रणाम किया। इस प्रकार भगवान गणेश को प्रथम पूज्यनीय देवता का दर्जा मिला।
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