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गणेश चतुर्थी विशेष: श्राप के कारण गणेश जी के दो विवाह की पौराणिक कथा

गणेश चतुर्थी के अवसर पर, जानें गणेश जी के दो विवाहों की पौराणिक कथा। यह कथा बताती है कि कैसे तुलसी जी के श्राप के कारण गणेश जी ने रिद्धि और सिद्धि से विवाह किया। इस लेख में हम इस रोचक कथा के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे, जिसमें देवी-देवताओं के विवाह में गणेश जी की भूमिका भी शामिल है।
 

गणेश जी: प्रथम पूज्य देव

गणेश जी, जिन्हें भगवान शिव और माता पार्वती का पुत्र माना जाता है, को प्रथम पूज्य देव के रूप में पूजा जाता है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले गणेश जी का स्मरण किया जाता है। इस लेख में हम गणेश जी के विवाह से जुड़ी एक रोचक कथा प्रस्तुत कर रहे हैं।


तुलसी जी का श्राप

पद्मपुराण और गणेश पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, एक बार तुलसी जी ने गणेश जी से विवाह का प्रस्ताव रखा, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया। इससे क्रोधित होकर तुलसी माता ने गणेश जी को श्राप दिया कि उनके दो विवाह होंगे। इसके जवाब में गणेश जी ने तुलसी जी को श्राप दिया कि उनका विवाह एक राक्षस से होगा। इस श्राप के कारण गणेश जी ने रिद्धि और सिद्धि नामक दो बहनों से विवाह किया।


गणेश जी का विवाह में विघ्न

गणेश पुराण के छठे अध्याय में बताया गया है कि गणेश जी के लम्बोदर स्वरूप के कारण उनका विवाह नहीं हो रहा था। इससे नाराज होकर उन्होंने अन्य देवी-देवताओं के विवाह में बाधा डालना शुरू कर दिया। सभी देवता इस समस्या से परेशान होकर ब्रह्मा जी के पास गए। ब्रह्मा जी ने अपनी दोनों पुत्रियों रिद्धि और सिद्धि को गणेश जी के पास शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजा।


ब्रह्मा जी का विवाह प्रस्ताव

जब भी गणेश जी को किसी देवता के विवाह की सूचना मिलती, तो रिद्धि और सिद्धि उनका ध्यान भटकाने का प्रयास करती थीं, ताकि वह किसी के विवाह में विघ्न न डाल सकें। इस प्रकार सभी देवताओं के विवाह बिना किसी रुकावट के संपन्न होने लगे। जब गणेश जी को इस बात का पता चला, तो वह दोनों पर क्रोधित हो गए। इस समय ब्रह्मा जी प्रकट हुए और उन्होंने गणेश जी को रिद्धि-सिद्धि से विवाह का प्रस्ताव दिया, जिसे गणेश जी ने स्वीकार कर लिया।