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गणेश विसर्जन 2025: अनंत चतुर्दशी का महत्व और पौराणिक कथा

गणेश विसर्जन 2025 के अवसर पर अनंत चतुर्दशी का महत्व जानें। इस दिन भक्त गणेश जी की मूर्ति को जल में विसर्जित करते हैं, जो एक पुरानी पौराणिक कथा से जुड़ा है। यह उत्सव 10 दिनों तक चलता है और इसके समापन के साथ पितृपक्ष की शुरुआत होती है। जानें इस परंपरा के पीछे की कहानी और इसके धार्मिक महत्व के बारे में।
 

गणेश विसर्जन और अनंत चतुर्दशी

गणेश विसर्जन 2025 अनंत चतुर्दशी: पूरे देश में भक्तों ने 27 अगस्त को गणपति बप्पा का स्वागत बड़े उत्साह के साथ किया। अब यह पवित्र गणेश उत्सव, जो 10 दिनों तक चलता है, अपने समापन की ओर बढ़ रहा है। इस दौरान भक्त बप्पा की विधिपूर्वक पूजा करते हैं, उन्हें प्रिय भोग अर्पित करते हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं। लेकिन अब अनंत चतुर्दशी पर बप्पा की विदाई का समय आ गया है। क्या आप जानते हैं कि गणेश उत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी पर ही क्यों होता है? आइए, इसके पीछे की कहानी जानते हैं।


अनंत चतुर्दशी का महत्व


इस वर्ष 6 सितंबर 2025 को अनंत चतुर्दशी मनाई जाएगी, और इसी दिन गणेश उत्सव का समापन होगा। भक्त गणेश जी को 3, 5, 7 या 10 दिनों के लिए अपने घर लाते हैं, लेकिन 10वें दिन का विसर्जन विशेष रूप से अनंत चतुर्दशी को किया जाता है। इस दिन भक्त विधिपूर्वक बप्पा की मूर्ति को जल में विसर्जित करते हैं, जिससे उत्सव का समापन होता है।


पौराणिक कथा का रहस्य


अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन के पीछे एक दिलचस्प पौराणिक कथा है। कहा जाता है कि गणेश जी ने महर्षि वेदव्यास के कहने पर 10 दिनों तक लगातार महाभारत लिखी, जिसके कारण उनका शरीर गर्म हो गया था। इस गर्मी को शांत करने के लिए वेदव्यास ने गणेश जी को जल में डुबकी लगाने की सलाह दी। यह घटना अनंत चतुर्दशी के दिन हुई थी। तभी से इस दिन गणेश जी को ठंडा करने की परंपरा के रूप में उनकी मूर्ति का विसर्जन किया जाता है।


परंपरा का महत्व


इस पौराणिक कथा के बाद से गणेश उत्सव 10 दिनों तक मनाया जाता है, और 11वें दिन यानी अनंत चतुर्दशी को बप्पा का विसर्जन होता है। इस दिन के साथ ही गणेश उत्सव का समापन हो जाता है, और इसके बाद पितृपक्ष की शुरुआत होती है। यह परंपरा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि भक्तों के बीच बप्पा के प्रति श्रद्धा और प्रेम को भी दर्शाती है।