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गुरु पूर्णिमा 2023: महत्व और पूजा विधि

गुरु पूर्णिमा 2023, जो 10 जुलाई को मनाई जाएगी, महर्षि वेदव्यास की जयंती है। इस दिन गुरु की पूजा का विशेष महत्व है। ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास के अनुसार, गुरु पूर्णिमा पर अपने गुरु का सम्मान करना और उनकी शिक्षाओं का पालन करना आवश्यक है। इस दिन विशेष पूजा विधियों का पालन किया जाता है, जिसमें सूर्य को जल चढ़ाना और दान करना शामिल है। जानें इस पर्व के पीछे का महत्व और कैसे इसे मनाना चाहिए।
 

गुरु पूर्णिमा का महत्व

आषाढ़ मास की पूर्णिमा 10 जुलाई को मनाई जाएगी। इस दिन गुरु पूजा का विशेष पर्व गुरु पूर्णिमा मनाया जाता है। यह दिन न केवल आम लोगों के लिए, बल्कि भगवान के लिए भी ज्ञान प्राप्ति का प्रतीक है। गुरु पूर्णिमा महर्षि वेदव्यास की जयंती के रूप में भी मनाई जाती है, जिन्होंने वेदों का संपादन किया और महाभारत तथा अन्य महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की। ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास के अनुसार, गुरु पूर्णिमा की पूर्णिमा तिथि 10 जुलाई को रात 1:36 बजे से शुरू होगी और 11 जुलाई को रात 2:06 बजे समाप्त होगी। इस दिन हनुमान जी ने सूर्य देव को अपना गुरु माना था, और भगवान दत्तात्रेय ने 24 गुरुओं का सम्मान किया। इसलिए, गुरु का स्थान अत्यंत ऊँचा है। इस दिन अपने गुरु की पूजा करें, उपहार दें और उनकी शिक्षाओं का पालन करने का संकल्प लें।


गुरु पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि भारत में गुरु पूर्णिमा को श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों में गुरु के महत्व को स्पष्ट किया गया है। गुरु को भगवान से भी श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि वे ही ज्ञान और आत्मज्ञान के मार्ग पर चलने का मार्गदर्शन करते हैं। यह पर्व गुरु की पूजा और सम्मान के लिए समर्पित है, जो व्यक्तियों को ज्ञान की ओर ले जाते हैं।


पूर्णिमा तिथि

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास के अनुसार, गुरु पूर्णिमा 10 जुलाई को मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि 10 जुलाई को रात 1:36 बजे से शुरू होगी और 11 जुलाई को रात 2:06 बजे समाप्त होगी। इस दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाना विशेष महत्व रखता है।


गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि

भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि गुरु पूर्णिमा पर सुबह जल्दी उठकर सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। इसके बाद घर के मंदिर में पूजा करें और फिर अपने गुरु के घर जाकर उन्हें सम्मान दें। गुरु को ऊंचे आसन पर बैठाकर पूजा करें और मिठाई, फल, और फूल चढ़ाएं। अपने सामर्थ्य के अनुसार उपहार और दक्षिणा दें। इस दिन वेदव्यास की भी पूजा करें और उनके ग्रंथों का पाठ करें।


शुभ कार्य

डा. अनीष व्यास ने बताया कि आषाढ़ पूर्णिमा पर अनाज, धन, कपड़े, जूते-चप्पल, छाता, कंबल, चावल, और भोजन का दान करना शुभ माना जाता है। किसी गौशाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें और गायों को हरी घास खिलाएं। शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। भगवान श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री का भोग तुलसी के साथ अर्पित करें।