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ग्लोबल सिख काउंसिल की वार्षिक बैठक: सिख धर्म की गरिमा और एकता की नई दिशा

ग्लोबल सिख काउंसिल ने अपनी वार्षिक बैठक में सिख धर्म के ऐतिहासिक तख्तों की गरिमा और स्वतंत्रता को बहाल करने की आवश्यकता पर जोर दिया। बैठक में भारत में एक पंजीकृत ट्रस्ट की स्थापना का निर्णय लिया गया, जो समुदाय की सेवा को पारदर्शी बनाएगा। काउंसिल ने पंजाब में बाढ़ से प्रभावित परिवारों के लिए सहायता की अपील की और धार्मिक शब्दों के दुरुपयोग पर चेतावनी दी। बैठक में पाकिस्तान में सिख विरासत की स्थिति पर भी चर्चा की गई। जानें इस महत्वपूर्ण बैठक के प्रमुख निर्णय और भविष्य की दिशा।
 

ग्लोबल सिख काउंसिल की महत्वपूर्ण बैठक

ग्लोबल सिख काउंसिल की वार्षिक बैठक: ग्लोबल सिख काउंसिल ने हाल ही में अपनी वार्षिक बैठक में कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए। काउंसिल ने स्पष्ट किया कि अब समय आ गया है कि सिख धर्म के ऐतिहासिक तख्तों की गरिमा और स्वतंत्रता को पुनर्स्थापित किया जाए। उनका मानना है कि वर्तमान में कुछ तख्तों पर राज्य सरकारों का सीधा नियंत्रण धार्मिक स्वायत्तता के खिलाफ है। विशेष रूप से, महाराष्ट्र में श्री हज़ूर साहिब और बिहार में श्री पटना साहिब को राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त करने की मांग जोर पकड़ रही है। काउंसिल ने स्थानीय सिख समुदायों को हर संभव समर्थन देने का संकल्प लिया।


भारत में ट्रस्ट की स्थापना का निर्णय

पारदर्शिता के लिए ट्रस्ट की स्थापना
बैठक में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया, जिसमें भारत में एक पंजीकृत ट्रस्ट की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया। काउंसिल ने बताया कि यह ट्रस्ट न केवल समुदाय की सेवा को पारदर्शी बनाएगा, बल्कि विदेशी चंदे को वैधानिक रूप से स्वीकारने की सुविधा भी प्रदान करेगा। इस पहल से भारत, विशेषकर पंजाब में कल्याणकारी परियोजनाओं को अधिक प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकेगा। काउंसिल का मानना है कि यह ट्रस्ट प्रवासी सिखों को सीधे सेवा से जोड़ने का माध्यम बनेगा।


एकता की अपील

भावनात्मक अपील
बैठक की शुरुआत काउंसिल की अध्यक्ष डॉ. कंवलजीत कौर और सचिव हरजीत सिंह ग्रेवाल ने पंजाब में आई बाढ़ से प्रभावित परिवारों के लिए प्रार्थना से की। उन्होंने कहा कि बाढ़-पीड़ितों के प्रति पूरी सहानुभूति है। साथ ही, उन्होंने वैश्विक सिख समुदाय से एकजुट रहने की भावनात्मक अपील की। उनका कहना था कि संगत का प्रेम और विश्वास ही सिख कौम की सबसे बड़ी ताकत है, और इसी एकता से विरासत और भविष्य को सुरक्षित रखा जा सकता है।


धार्मिक शब्दों के दुरुपयोग पर चेतावनी

धार्मिक शब्दों का दुरुपयोग
काउंसिल की कानूनी मामलों की समिति के अध्यक्ष जगीर सिंह ने धार्मिक शब्दों जैसे 'संत' और 'ब्रह्म ज्ञानी' के वास्तविक अर्थ पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ये शब्द आत्मिक अवस्थाएं हैं, न कि प्रचार और पद प्राप्ति के लिए प्रयोग किए जाने वाले टाइटल। वर्तमान में इनका दुरुपयोग बढ़ रहा है, जिससे संगत को भ्रमित किया जा रहा है। काउंसिल ने कहा कि सिख सिद्धांतों की पवित्रता को हर हाल में सुरक्षित रखना होगा।


पाकिस्तान में सिख विरासत की स्थिति

पाकिस्तान में सिख विरासत की दुर्दशा
काउंसिल की विरासत समिति के प्रमुख यसपाल सिंह बेन्स ने पाकिस्तान में मौजूद ऐतिहासिक गुरुद्वारों की स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि कई पवित्र स्थलों की हालत जर्जर है और उनकी मरम्मत की तत्काल ज़रूरत है। उन्होंने पाकिस्तान के Evacuee Trust Board और Archaeology Department को सहयोग के लिए धन्यवाद दिया, लेकिन साथ ही कहा कि इस दिशा में और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है। सिख इतिहास को पुनर्जीवित करना आने वाली पीढ़ियों के लिए जरूरी है।


बाढ़ राहत कार्यों की अपील

पंजाब में बाढ़ राहत और सेवा की पुकार
कोषाध्यक्ष हरसरन सिंह ने पंजाब के फिरोज़पुर और फाजिल्का ज़िलों में आई बाढ़ की गंभीर स्थिति पर रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती गांवों में किसानों और आम लोगों के घर, फसलें और पशु नष्ट हो चुके हैं। काउंसिल ने वैश्विक सिख समुदाय से राहत कार्यों में सहयोग की अपील की और कहा कि यह समय सेवा और मानवता का है, जिसे नजरअंदाज़ नहीं किया जा सकता।


भविष्य की दिशा

भविष्य की दिशा और वचन
बैठक के अंत में काउंसिल के नेताओं ने आने वाले वर्षों के लिए अपने विजन और प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने धार्मिक सुधारों, कल्याणकारी योजनाओं और संसाधनों के बेहतर उपयोग की बात कही। अगली बैठक नवंबर 2026 में चंडीगढ़ में आयोजित की जाएगी। सभी प्रतिनिधियों ने एक-दूसरे को सहयोग के लिए धन्यवाद दिया और यह वादा किया कि ग्लोबल सिख काउंसिल दुनिया भर में सिख समुदाय की सेवा को ईमानदारी, पारदर्शिता और समर्पण के साथ जारी रखेगी।