जितिया व्रत: 14 सितंबर को अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए उपवास का महत्व और विधि
जितिया व्रत का महत्व
जितिया व्रत: 14 सितंबर को अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए उपवास का महत्व और विधि: नई दिल्ली | जितिया व्रत, जिसे जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है, माताओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह व्रत महाभारत काल से प्रचलित है और इसके बारे में शास्त्रों में भी उल्लेख मिलता है। हर साल आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को यह व्रत मनाया जाता है।
इस वर्ष जितिया व्रत की तिथि
इस बार जितिया व्रत 14 सितंबर 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए निर्जला उपवास करती हैं। इस व्रत में जीमूतवाहन भगवान की पूजा की जाती है और चील-सियारिन की पौराणिक कथा सुनाई जाती है। महिलाएं अपने बच्चों के नाम की कौड़ियां रक्षा धागे में बांधकर पहनती हैं।
जितिया व्रत की पूजा विधि
जितिया व्रत की पूजा विधि
जितिया व्रत के दौरान, सुहागिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और निर्जला उपवास का संकल्प लेती हैं। पूजा में जीमूतवाहन भगवान की मूर्ति या तस्वीर स्थापित की जाती है।
पूजा के लिए चंदन, फूल, धूप, दीप, अक्षत और प्रसाद का उपयोग किया जाता है। पूजा के बाद चील और सियारिन की कथा सुनना आवश्यक है, जो इस व्रत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। महिलाएं अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए मंत्र और आरती के साथ पूजा का समापन करती हैं। कौड़ियों को गले में बांधने की परंपरा भी निभाई जाती है।
पूजा सामग्री और नियम
पूजा सामग्री और नियम
जितिया व्रत की पूजा के लिए आवश्यक सामग्री में शामिल हैं: फूल, चंदन, धूपबत्ती, दीप, अक्षत, रोली, मिठाई, फल, और कौड़ियां जो रक्षा धागे में बांधने के लिए उपयोग की जाती हैं।
व्रत के दौरान भोजन और पानी का सेवन नहीं किया जाता। पूजा में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए और मन से बच्चों की सलामती की प्रार्थना करनी चाहिए। कथा सुनना और कौड़ियां पहनना अनिवार्य है। यह व्रत बच्चों की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन के लिए माताओं की तपस्या का प्रतीक है।