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जितिया व्रत के लिए आवश्यक भोग: जानें खास प्रसाद

जितिया व्रत, जिसे जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है। यह व्रत 14 सितंबर को मनाया जाएगा और इसमें विशेष भोग का महत्व है। जानें ठेकुआ, पूड़ी, खीर और फलों के प्रसाद के बारे में, जो इस व्रत को पूर्ण बनाते हैं। साथ ही, प्रसाद बनाने में ध्यान रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें भी जानें।
 

जितिया व्रत का महत्व

जितिया व्रत, जिसे जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है। यह व्रत तीन दिनों तक चलता है और इसमें निर्जला उपवास का पालन किया जाता है। इस वर्ष, यह व्रत 14 सितंबर को मनाया जाएगा। इस व्रत में पूजा के साथ-साथ विशेष प्रसाद का भी महत्व है। कुछ पारंपरिक भोग हैं, जिनके बिना यह व्रत अधूरा माना जाता है। इन भोगों को शामिल करने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है।


ठेकुआ

ठेकुआ जितिया व्रत का सबसे महत्वपूर्ण और पारंपरिक प्रसाद है। यह न केवल पूजा का एक आवश्यक हिस्सा है, बल्कि प्रसाद के रूप में भी प्रमुखता रखता है। मान्यता है कि ठेकुआ भगवान जीमूतवाहन को विशेष रूप से प्रिय है। इसे प्रसाद में शामिल करने से व्रत सफलतापूर्वक पूरा होता है और संतान पर भगवान की कृपा बनी रहती है।


पूड़ी और खीर

पूड़ी और खीर का भोग लगभग हर शुभ अवसर पर शामिल किया जाता है। जितिया व्रत के प्रसाद में भी इनका विशेष स्थान है। पूड़ी और खीर का भोग लगाने से जीमूतवाहन प्रसन्न होते हैं और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।


फल और मिठाई

फलों का प्रसाद भी जितिया व्रत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। व्रत में मौसमी फल जैसे सेब, केला, नाशपाती और अनार चढ़ाना शुभ माना जाता है। इसके अलावा, पारंपरिक मिठाइयाँ जैसे लड्डू, पेड़ा या बर्फी भी प्रसाद में शामिल की जा सकती हैं। फल और मिठाई का भोग लगाने से पूजा में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।


प्रसाद बनाने में ध्यान रखने योग्य बातें

  • प्रसाद हमेशा साफ-सुथरे और पवित्र हाथों से बनाना चाहिए।
  • प्रसाद बनाने में लहसुन, प्याज या किसी भी तामसिक सामग्री का उपयोग न करें।
  • प्रसाद में इस्तेमाल होने वाली सभी सामग्री अच्छी होनी चाहिए।
  • प्रसाद बनाने के बाद इसे सबसे पहले भगवान को अर्पित करें।