तुलसी विवाह: 2 नवंबर को जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
तुलसी विवाह, जो देवी तुलसी और भगवान शालिग्राम के लिए समर्पित है, हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 2 नवंबर को होगा। इस अनुष्ठान का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है, क्योंकि इसे करने से घर में सुख और शांति बनी रहती है। जानें इस पर्व का शुभ मुहूर्त और इसके पीछे की मान्यताएँ।
Sep 19, 2025, 05:27 IST
तुलसी विवाह का महत्व
देवी तुलसी और भगवान शालिग्राम के लिए समर्पित यह अनुष्ठान
तुलसी विवाह का आयोजन हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को किया जाता है। यह अनुष्ठान देवी तुलसी और भगवान शालिग्राम को समर्पित है। मान्यता है कि इस अनुष्ठान से घर में सुख और शांति बनी रहती है। तुलसी विवाह का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह पर्व देवउठनी एकादशी के अगले दिन मनाया जाता है, जब भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं और शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। आइए जानते हैं कि इस वर्ष यह पर्व कब मनाया जाएगा।
द्वादशी तिथि का समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 02 नवंबर को सुबह 07:31 बजे शुरू होगी और इसका समापन 03 नवंबर को सुबह 05:07 बजे होगा। इस साल तुलसी विवाह 02 नवंबर को मनाया जाएगा।
तुलसी विवाह का महत्व
- शुभता का प्रतीक: यह देवी तुलसी और भगवान शालिग्राम के विवाह का उत्सव है, जिसमें पारंपरिक हिंदू विवाह की सभी रस्में होती हैं।
- शुभ कार्यों का आरंभ: देवउठनी एकादशी के साथ भगवान विष्णु की योग निद्रा समाप्त होती है, और तुलसी विवाह के साथ सभी मांगलिक कार्य जैसे विवाह और गृह प्रवेश फिर से शुरू होते हैं।
- सौभाग्य और समृद्धि: तुलसी विवाह करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। विशेषकर, जिन दंपत्तियों को संतान नहीं होती, उनके लिए यह अनुष्ठान बहुत शुभ माना जाता है।
- पापों का नाश: तुलसी विवाह करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
तुलसी पूजन मंत्र
- नमस्तुलसि सर्वज्ञे पुरुषोत्तमवल्लभे।
पाहि मां सर्वपापेभ्य: सर्वसम्पत्प्रदायिके।। - तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।। - लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।