तुला संक्रांति: सूर्य देव की कृपा से सफलता का दिन
सूर्य का तुला राशि में गोचर
तुला संक्रांति का महत्व
सनातन धर्म में सूर्य को एक प्रमुख देवता माना जाता है। जब सूर्य राशि बदलता है, इसे संक्रांति कहा जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, 17 अक्टूबर को शनिवार के दिन सूर्य तुला राशि में प्रवेश करेगा, जिसे तुला संक्रांति कहा जाता है। इस दिन एक विशेष और शक्तिशाली योग का निर्माण हो रहा है।
तुला संक्रांति के अवसर पर गंगा स्नान, सूर्य देव की पूजा और अर्घ्य अर्पित करने का विशेष महत्व है। सूर्य की आराधना से व्यक्ति की सेहत में सुधार होता है, यश में वृद्धि होती है, और करियर में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
तुला संक्रांति की तिथि और योग
तुला संक्रांति कब होगी
ज्योतिष के अनुसार, कार्तिक कृष्ण एकादशी तिथि पर तुला संक्रांति होगी। इस समय दुर्लभ शुक्ल और शिववास योग बन रहे हैं, जो अत्यंत शुभ माने जाते हैं। इन योगों में सूर्य की आराधना करने वाले साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है और उनकी कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है।
सूर्य राशि परिवर्तन का समय
17 अक्टूबर को सूर्य तुला राशि में प्रवेश करेगा और 15 नवंबर 2025 तक वहीं रहेगा। इसके अलावा, 24 अक्टूबर को सूर्य देव का नक्षत्र परिवर्तन होगा, जब वे स्वाति नक्षत्र में प्रवेश करेंगे।
तुला संक्रांति के पुण्य काल
- तुला संक्रांति पर सुबह 10:05 बजे से शाम 05:43 बजे तक पुण्य काल रहेगा।
- महा पुण्य काल दोपहर 12 बजे से 03:48 बजे तक होगा।
- तुला संक्रांति पर दोपहर 01:54 बजे पुण्य क्षण होगा।
- 18 अक्टूबर को देर रात 01:49 तक शुक्ल योग बनेगा।
- शिववास योग पूरे दिन रहेगा, जिसमें भगवान शिव का अभिषेक किया जाएगा।
तुला संक्रांति पंचांग
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:43 बजे से 05:33 बजे।
- विजय मुहूर्त: दोपहर 02 बजे से 02:46 बजे।
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:49 बजे से 06:14 बजे।
- निशिता मुहूर्त: रात्रि 11:41 बजे से 12:32 बजे।