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दत्तात्रेय जयंती: आध्यात्मिकता और ज्ञान का पर्व

दत्तात्रेय जयंती भगवान दत्तात्रेय के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है, जो त्रिदेव का संयुक्त अवतार हैं। यह दिन साधकों के लिए ज्ञान, योग और भक्ति का प्रतीक है। इस पर्व पर भक्त विशेष पूजा विधियों का पालन करते हैं और दत्तात्रेय के संदेशों को आत्मसात करने का प्रयास करते हैं। जानें इस जयंती का महत्व और पूजा विधि के बारे में।
 

दत्तात्रेय जयंती का महत्व

दत्तात्रेय जयंती भगवान दत्तात्रेय के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। उन्हें त्रिदेव—ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) का संयुक्त अवतार माना जाता है। यह दिन साधकों और भक्तों के लिए ज्ञान, योग, भक्ति, संयम और प्रकृति से जुड़ने की प्रेरणा का प्रतीक है। यह जयंती मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है, जो विशेष रूप से पवित्र मानी जाती है।


भगवान दत्तात्रेय का परिचय

भगवान दत्तात्रेय को योगियों का गुरु और गुरु परंपरा का आदि गुरु माना जाता है। उनकी उत्पत्ति देवी अनसुया और ऋषि अत्रि के घर हुई थी। कथा के अनुसार, त्रिदेव उनकी तपस्या और पतिव्रता शक्ति की परीक्षा लेने आए थे और अनसुया की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्होंने दत्तात्रेय के रूप में जन्म लिया।


दत्तात्रेय जयंती का महत्व

यह दिन आत्मज्ञान, योग साधना और गुरु कृपा प्राप्त करने का विशेष अवसर है। भक्त इस दिन भगवान के ज्ञान, त्याग और वैराग्य को आत्मसात करने का प्रयास करते हैं।


भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, मंत्रों का जाप करते हैं, दत्तात्रेय चालीसा और स्तोत्र का पाठ करते हैं, और ध्यान में समय बिताते हैं।


भगवान दत्तात्रेय ने प्रकृति को अपना गुरु मानकर 24 गुरुओं से जीवन के सत्य सीखने की प्रेरणा दी। उनके प्रमुख संदेशों में शामिल हैं- प्रकृति हमारा सबसे बड़ा शिक्षक है, योग और ध्यान जीवन को सार्थक बनाते हैं, और ज्ञान की ओर बढ़ना चाहिए।


दत्तात्रेय जयंती पूजन विधि

दत्तात्रेय जयंती पर मंदिरों में उनकी मूर्ति या चित्र की पूजा की जाती है। मंत्र—“ॐ द्रम दत्तात्रेयाय नमः” का जाप किया जाता है।


भक्त पूर्णिमा का व्रत रखते हैं और भजन-कीर्तन करते हैं।


गुजरात के गिरनार, महाराष्ट्र के औंढा नागनाथ, आंध्र प्रदेश के पिथापुरम और कर्नाटक के नारायणपुर जैसे स्थानों पर विशेष मेले और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं।


इस दिन साधक गहरी योग साधना और ध्यान करके आंतरिक शांति और ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।


दत्तात्रेय जयंती का संदेश

यह पर्व केवल धार्मिक महत्व नहीं रखता, बल्कि यह मानव जीवन को सरलता, सद्गुण, आत्मज्ञान और गुरु भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। यह हमें सिखाता है कि सच्चा ज्ञान बाहरी दुनिया में नहीं, बल्कि अपने भीतर खोजा जाना चाहिए।


दत्तात्रेय जयंती आध्यात्म, योग, गुरु भक्ति और आत्मज्ञान का पर्व है। यदि हम भगवान दत्तात्रेय के संदेशों को अपनाएँ, तो हम एक संतुलित, शांत और ज्ञानपूर्ण जीवन जी सकते हैं।