×

दशमी पर मां दुर्गा का विसर्जन: महत्व और शुभ मुहूर्त

दशमी के दिन मां दुर्गा का विसर्जन 02 अक्टूबर 2025 को होगा। इस दिन का महत्व और शुभ मुहूर्त जानें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां दुर्गा की विदाई का यह पर्व परिवार के लिए सुख और शांति का प्रतीक है। विसर्जन के समय विशेष सामग्री जल में प्रवाहित की जाती है। इस लेख में विसर्जन की प्रक्रिया और महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।
 

दशमी का पर्व और मां दुर्गा का विसर्जन

नवरात्रि के नौ दिनों की पूजा और साधना के बाद, दशमी तिथि को मां दुर्गा का विसर्जन किया जाता है। इसे विजयादशमी भी कहा जाता है, और इस वर्ष यह पर्व 02 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है, जबकि दशमी को मां दुर्गा का विदाई संस्कार किया जाता है। इस दिन मां दुर्गा डोली में प्रस्थान करेंगी, जो परिवार के लिए सुख और शांति का प्रतीक है। आइए जानते हैं इस दिन का शुभ मुहूर्त, महत्व और विदाई की प्रक्रिया के बारे में...


शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, 2 अक्टूबर 2025 को सुबह 06:32 से 08:54 मिनट तक का समय मां दुर्गा के विसर्जन के लिए सबसे शुभ माना गया है। इसके बाद, दोपहर में 01:21 से 03:44 मिनट तक का समय भी मूर्ति विसर्जन के लिए अनुकूल है।


मूर्ति विसर्जन का महत्व

शास्त्रों में उल्लेख है कि पूजा के बाद देवी-देवताओं की प्रतिमा को जल में विसर्जित करना चाहिए। जल को पवित्र माना जाता है और इसे वरुण देवता और भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है। इसलिए हर शुभ कार्य की शुरुआत जल से होती है। शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि सृष्टि की शुरुआत जल से हुई थी और अंत में भी जल ही शेष रहेगा। इसी कारण मूर्तियों का विसर्जन जल में किया जाता है। भगवान श्रीराम ने भी धरती पर अपने अंत को जल समाधि के माध्यम से किया था।


मां दुर्गा की विदाई का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार, बेटियां मायके आकर कुछ दिन बिताने के बाद ससुराल चली जाती हैं। इसी तरह, मां दुर्गा भी नवरात्रि पर पृथ्वी पर आती हैं और 9 दिन रहने के बाद कैलाशधाम लौट जाती हैं। विदाई के समय बेटियों को श्रृंगार, वस्त्र और भोजन दिया जाता है, उसी प्रकार मां दुर्गा की प्रतिमा के विसर्जन के समय एक पोटली में यह सामग्री रखकर जल में प्रवाहित की जाती है।