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दशहरा पर नीलकंठ पक्षी के दर्शन का महत्व

दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन का विशेष महत्व है, जिसे भगवान शिव का अवतार माना जाता है। मान्यता है कि नीलकंठ के दर्शन से जीवन में सुख और समृद्धि आती है। यह परंपरा त्रेता युग से चली आ रही है और इस दिन नीलकंठ को देखना शुभ माना जाता है। जानें इस पर्व का महत्व और नीलकंठ पक्षी के दर्शन से मिलने वाले लाभ के बारे में।
 

नीलकंठ पक्षी: भगवान शिव का प्रतीक


नई दिल्ली: आज देशभर में दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध कर अधर्म का नाश किया था।


नीलकंठ पक्षी का धार्मिक महत्व

विजयादशमी के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन का विशेष महत्व है। इसे भगवान शिव का अवतार माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन नीलकंठ के दर्शन से जीवन में सुख और समृद्धि आती है, और सभी प्रकार के पाप और कष्ट दूर होते हैं।


मान्यता का इतिहास

कहा जाता है कि विजयादशमी के दिन भगवान राम को ब्रह्म हत्या का पाप लगा था, क्योंकि रावण एक ब्राह्मण था। इस पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव ने नीलकंठ पक्षी का रूप धारण किया। जब भगवान राम ने नीलकंठ पक्षी के दर्शन किए, तो उनका पाप समाप्त हो गया।


नीलकंठ के दर्शन से लाभ

महंत के अनुसार, विजयादशमी के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन करने से जीवन से पाप और संताप दूर हो जाते हैं, और जीवन में शुभता का प्रवेश होता है। महादेव के भक्त इस दिन कैलाश पर्वत या महाकाल के दर्शन करते हैं, और नीलकंठ रूप में भगवान शिव के दर्शन से सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।


परंपरा का महत्व

यह परंपरा त्रेता युग से चली आ रही है और विशेष रूप से विजयादशमी पर मनाई जाती है। नीलकंठ पक्षी के दर्शन से हम अपने जीवन के सभी पापों का नाश कर सकते हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।


दशहरा पर नीलकंठ के दर्शन का महत्व

इसलिए, इस विजयादशमी न केवल रावण के वध की खुशी मनाना आवश्यक है, बल्कि नीलकंठ पक्षी के दर्शन की परंपरा को भी निभाना चाहिए। यह धार्मिक आस्था और सौभाग्य का प्रतीक है। जीवन में सुख, शांति और समृद्धि पाने के लिए इस दिन नीलकंठ को देखना शुभ माना जाता है।