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दशहरा: विजयादशमी का पर्व और इसकी विशेषताएँ

दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, भारत में एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व मां भगवती के विजय स्वरूप का प्रतीक है और इसे विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। इस दिन रामलीलाओं का आयोजन होता है, जिसमें प्रभु राम के जीवन का चित्रण किया जाता है और रावण का वध किया जाता है। जानें इस पर्व की विशेषताएँ, मान्यताएँ और विभिन्न क्षेत्रों में मनाने की विधियाँ।
 

दशहरा का महत्व

दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व मां भगवती के विजय स्वरूप का प्रतीक है और वर्षा ऋतु के अंत तथा शरद ऋतु की शुरुआत का संकेत देता है। इस दिन क्षत्रिय शस्त्र पूजन करते हैं, जबकि ब्राह्मण सरस्वती पूजन और वैश्यों द्वारा बही पूजन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन 'विजय' नामक काल होता है, जो सभी कार्यों में सफलता प्रदान करता है।


रामलीला और रावण का संहार

दशहरा से दस दिन पहले रामलीलाओं का आयोजन देशभर में शुरू होता है, जिसमें प्रभु राम के जीवन का चित्रण किया जाता है। इस दिन रावण का वध किया जाता है। बंगाल में दुर्गा विसर्जन का आयोजन भी होता है। इस दिन शमी वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है और शाम को नीलकंठ पक्षी का दर्शन शुभ माना जाता है। पुराणों के अनुसार, दशहरा पापों के परित्याग की प्रेरणा देता है।


भगवान श्रीराम का अयोध्या लौटना

इस दिन भगवान श्रीराम ने चौदह वर्षों का वनवास समाप्त कर रावण का वध कर अयोध्या लौटने का पर्व मनाया जाता है। विभिन्न स्थानों पर रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाथ के विशाल पुतले स्थापित किए जाते हैं, और शाम को राम के रूप में युवक रावण का वध करते हैं। यह आयोजन सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र होता है।


दशहरा का विविधता में उत्सव

दशहरा भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। उत्तर भारत में भव्य मेलों के दौरान रावण का दहन किया जाता है, जबकि दक्षिण भारत में कुछ स्थानों पर रावण की पूजा भी होती है। कर्नाटक में दशहरा राज्य उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जहां मैसूर का दशहरा विश्व प्रसिद्ध है। यहां दस दिनों तक उत्सव मनाया जाता है और शहर को सजाया जाता है।


कुल्लू और बस्तर का दशहरा

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू का दशहरा भी प्रसिद्ध है, जहां पर्व की तैयारी एक सप्ताह पहले से शुरू होती है। लोग सुंदर वस्त्र पहनकर अपने देवताओं का जुलूस निकालते हैं। वहीं, छत्तीसगढ़ के बस्तर में दशहरा मां दंतेश्वरी की आराधना का पर्व है, जो लगभग सवा दो महीने तक मनाया जाता है।


दशहरा की कथा

एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से दशहरे के फल के बारे में पूछा। शिवजी ने बताया कि आश्विन शुक्ल दशमी को विजय काल होता है, जो इच्छाओं को पूर्ण करता है। भगवान श्रीराम ने इसी काल में रावण को परास्त किया था। युधिष्ठिर के पूछने पर भगवान श्रीकृष्ण ने विजयादशमी के दिन राजा को सजने और पूजा करने की विधि बताई।