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दशहरे पर शमी के पौधे के लाभ और पूजा विधि

दशहरे पर शमी के पौधे को लगाने से विजय, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। यह पौधा नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और आर्थिक समस्याओं को हल करने में मदद करता है। जानें इस पौधे की पूजा विधि और इसके लाभों के बारे में।
 

मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी


दशहरे के अवसर पर कुछ विशेष पौधों को लगाने से विजय, समृद्धि और सकारात्मकता का अनुभव होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह परंपरा न केवल आस्था से जुड़ी है, बल्कि यह घर में सुख और शांति लाने का भी कार्य करती है।


भगवान राम ने शमी के पौधे की पूजा की थी

हिंदू धर्म में शमी के पौधे का विशेष महत्व है। रामायण के अनुसार, भगवान राम ने रावण से युद्ध से पहले इस पौधे के सामने झुककर विजय की कामना की थी। इसलिए, दशहरे पर इसकी पूजा करना शक्ति और विजय का प्रतीक माना जाता है।


पांडवों ने दिव्य अस्त्र-शस्त्र छिपाए

महाभारत में भी शमी का उल्लेख मिलता है। पांडवों ने अपने वनवास के दौरान अपने दिव्य अस्त्र-शस्त्र शमी के वृक्ष में छिपा दिए थे। अज्ञातवास समाप्त होने के बाद, उन्होंने इन्हीं अस्त्रों का उपयोग कर महाभारत का युद्ध जीता। इसलिए इसे साहस और सफलता का प्रतीक माना जाता है।


नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है

दशहरे पर शमी का पौधा लगाने से सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति मिलती है। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और मन को शांत रखता है। इसे घर में लगाने से शांति और खुशी बनी रहती है।


आर्थिक समस्याएं दूर करने में सहायक

वास्तु शास्त्र के अनुसार, शमी का पौधा सौभाग्य का प्रतीक है। इसे घर या ऑफिस में लगाने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं और नए अवसरों के द्वार खुलते हैं। इसे विशेष रूप से घर के पश्चिम या दक्षिण दिशा में लगाना लाभकारी माना जाता है।


विजय और सुरक्षा का प्रतीक

दशहरा विजय का पर्व है और शमी का पौधा विजय का प्रतीक है। इसे लगाने से जीवन में आने वाली रुकावटें कम होती हैं और आत्मविश्वास बढ़ता है। घर के मुख्य द्वार के पास इसे लगाने से नकारात्मक ऊर्जा बाहर ही रुक जाती है।


पर्यावरण के लिए भी लाभकारी

यह पौधा सूखी जमीन में भी उगता है और मिट्टी के कटाव को रोकता है। यह मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है और छोटे जीव-जंतुओं व पक्षियों के लिए आश्रय प्रदान करता है। इसे लगाना पर्यावरण के लिए भी एक अच्छा कदम है।


पूजा विधि

दशहरे के दिन इस पौधे की पूजा सुबह या रावण दहन से पहले की जाती है। इसकी पत्तियों पर हल्दी-कुमकुम और चावल चढ़ाकर दीपक जलाया जाता है। इसके बाद पत्तियां घर लाकर तिजोरी या मंदिर में रखी जाती हैं ताकि घर में धन और समृद्धि बनी रहे।