धनतेरस की कथा: समृद्धि और धन की प्राप्ति का मार्ग
धन-दौलत में होगी अपार वृद्धि
Dhanteras Katha, नई दिल्ली: धनतेरस दीपावली महापर्व का पहला दिन है, जब भगवान धन्वंतरि, कुबेर और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन पूजा और सोने-चांदी की खरीदारी से धन में वृद्धि होने की मान्यता है। यह दिन केवल आभूषण खरीदने का नहीं, बल्कि आरोग्य के देवता भगवान धन्वंतरि, धन के देवता कुबेर और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का भी है। शास्त्रों के अनुसार, धनतेरस पर पूजा के समय कथा का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
धनतेरस की कथा
एक बार भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर आने का निश्चय किया। देवी लक्ष्मी ने भी उनके साथ चलने की इच्छा जताई। विष्णु जी ने कहा कि तुम मेरे साथ आ सकती हो, लेकिन एक शर्त है, जब तक मैं वापस न आऊं, तुम दक्षिण दिशा की ओर मत जाना। लक्ष्मी जी ने सहमति दी और वे धरती पर आ गए। कुछ समय बाद, विष्णु जी ने लक्ष्मी जी को रुकने को कहा और खुद दक्षिण दिशा की ओर चले गए। भगवान के जाते ही लक्ष्मी जी के मन में यह जानने की जिज्ञासा हुई कि उस दिशा में ऐसा क्या है, जहां जाने से मना किया गया था। उन्होंने उनकी बात नहीं मानी और उनके पीछे चल पड़ीं।
आगे जाकर उन्हें सरसों के खेत में सुंदर फूल मिले। लक्ष्मी जी ने कुछ फूल तोड़कर अपने श्रृंगार के लिए उपयोग किए। थोड़ी दूर जाने पर उन्हें गन्ने का खेत मिला, जहां उन्होंने गन्ने तोड़कर उसका रस चखा। तभी भगवान विष्णु वहां आए।
जब उन्होंने लक्ष्मी जी को फूल तोड़ते और गन्ने का रस चूसते देखा, तो वे क्रोधित हो गए। उन्होंने लक्ष्मी जी से कहा कि मैंने तुम्हें यहां आने से मना किया था! तुमने मेरी बात नहीं मानी और एक किसान के खेत से चोरी की। इसके दंड स्वरूप तुम्हें अगले 12 वर्षों तक इसी किसान की सेवा करनी होगी। यह कहकर भगवान विष्णु अपने निवास लौट गए। लक्ष्मी जी उस किसान के घर साधारण वेश में रहने लगीं। एक दिन उन्होंने किसान की पत्नी से कहा कि स्नान के बाद मेरी बनाई देवी लक्ष्मी की मूर्ति की पूजा करो, फिर रसोई का काम करना।
तुम जो भी मांगोगी, वह तुम्हें मिलेगा। किसान की पत्नी ने वैसा ही किया। पूजा के अगले दिन, लक्ष्मी जी के आशीर्वाद से किसान का घर अन्न-धन से भर गया और उसकी गरीबी दूर हो गई। 12 साल बाद, भगवान विष्णु लक्ष्मी जी को वापस लेने आए।
लेकिन किसान ने उन्हें भेजने से मना कर दिया, क्योंकि लक्ष्मी जी के कारण उसके जीवन में समृद्धि आई थी। भगवान विष्णु ने किसान को समझाया कि लक्ष्मी चंचल होती हैं और वे किसी एक स्थान पर नहीं रुकतीं। वे तो शाप के कारण 12 वर्षों से तुम्हारी सेवा कर रही थीं और अब उनका समय पूरा हो गया है।
हालांकि, किसान के अधिक हठ करने पर लक्ष्मी जी ने उसे वचन दिया कि वह धनतेरस के दिन उसकी पत्नी से फिर से पूजा करवाएंगी, और जहां उनकी पूजा होगी, वहां वे अवश्य निवास करेंगी। ऐसी मान्यता है कि धनतेरस के दिन जो व्यक्ति सच्चे मन से लक्ष्मी जी और कुबेर की पूजा करता है, उसके घर में धन और समृद्धि हमेशा बनी रहती है।
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