धनतेरस पर दीपदान: विधि, शुभ मुहूर्त और मंत्र की जानकारी
धनतेरस पर दीपदान का महत्व
धनतेरस का पर्व कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा का विशेष महत्व है, साथ ही इस दिन खरीदारी भी की जाती है। शाम के समय दीपदान करना भी आवश्यक है, क्योंकि यमराज के नाम का दीप जलाने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। यह मान्यता है कि दीपदान से परिवार में सुख और समृद्धि बनी रहती है।
दीपदान का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष, 18 अक्टूबर, शनिवार को दीपदान का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में शाम 5:47 से 7:35 बजे तक रहेगा। इस समय में दीपदान करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। दक्षिण दिशा की ओर दीपदान करने से अकाल मृत्यु का भय टल जाता है। यह भी माना जाता है कि इस दीपक की रोशनी से पितर प्रसन्न होते हैं, जिससे परिवार की उन्नति होती है।
दीपदान की विधि
धनतेरस के दिन शाम को दीपदान करने के लिए एक दीपक को तेल से भरकर प्रज्वलित करें। इसके बाद, गंधादि से पूजन करें और अपने घर के मुख्य द्वार पर अन्न का ढेर रखें। दीपक को इस ढेर पर रखें और सुनिश्चित करें कि यह रातभर जलता रहे।
दीपदान का मंत्र और दिशा
धनतेरस के दिन, मिट्टी के दीपक को तिल के तेल से भरकर प्रज्वलित करें। दीपक का मुंह दक्षिण दिशा की ओर रखें और निम्नलिखित मंत्र का जाप करें:
- मृत्युना दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह, त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यज: प्रीयतां मम।
इस मंत्र के जाप से यमराज प्रसन्न होते हैं।
यमराज के नाम का दीपक जलाने के लाभ
धनतेरस के दिन यमराज के नाम का दीपक जलाना चाहिए। इससे परिवार की अकाल मृत्यु से रक्षा होती है। दीपक को अनाज के ढेर पर रखकर जलाने से घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है।