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धनतेरस पूजा विधि: जानें शुभ मुहूर्त और मंत्र

धनतेरस का पर्व हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस वर्ष यह उत्सव 18 अक्टूबर को है। इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा का विशेष महत्व है, जिससे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इस लेख में धनतेरस पर पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि, आरती और मंत्र के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। जानें कैसे इस दिन पूजा करें और क्या विशेष ध्यान रखें।
 

धनतेरस पूजा विधि, मंत्र और आरती


धनतेरस का महत्व
धनतेरस का पर्व हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस वर्ष यह उत्सव आज मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा का विशेष महत्व है, जिससे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही, कुबेर देवता और माता लक्ष्मी की पूजा भी अनिवार्य है। आइए जानते हैं धनतेरस पर पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि, आरती और मंत्र।


धनतेरस का शुभ मुहूर्त

इस साल 18 अक्टूबर को दोपहर 12:20 बजे त्रयोदशी तिथि आरंभ होगी, जो 19 अक्टूबर को 1:52 बजे समाप्त होगी। शास्त्रों के अनुसार, धनतेरस उसी दिन मनाना चाहिए जब कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि होती है। यदि आप 18 अक्टूबर को खरीदारी नहीं कर पाते हैं, तो 19 अक्टूबर को 1:52 बजे तक खरीदारी की जा सकती है।


धनतेरस पूजा का शुभ समय

18 अक्टूबर, शनिवार को त्रयोदशी तिथि में प्रदोष काल के दौरान पूजा करना सबसे शुभ रहेगा। पूजा का सही समय 18 अक्टूबर को शाम 5:04 से 6:35 बजे तक है। इस समय भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा करना उत्तम रहेगा। इसके अलावा, लाभ चौघड़िया में शाम 6:41 से 7:38 बजे के बीच भी पूजा की जा सकती है।


धनतेरस पूजा विधि

कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को शाम को एक दीपक को तेल से भरकर जलाएं। इसके बाद, फूल, धूप, और कपूर से पूजा करें। अपने घर के द्वार पर अन्न के ढेर पर एक दीपक जलाएं और सुनिश्चित करें कि यह रातभर जलता रहे।



  • धनतेरस पर गोशाला में आठ हाथ लंबी और चार हाथ चौड़ी वेदी बनाएं और उस पर सर्वतोभद्र लिखें।

  • वृक्ष के नीचे गोवर्धन भगवान की मूर्ति स्थापित करें और उनके चारों ओर अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां रखें।

  • इन सभी का पूजन मंत्रों के साथ करें और फिर सौभाग्यवती स्त्रियों को मिठाइयाँ दें।

  • तीन दिन तक पूजा करें और चौथे दिन स्नान करके व्रत का विसर्जन करें।


धन्वंतरि भगवान की पूजा विधि


  • धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की तस्वीर को चौकी पर स्थापित करें।

  • आचमन करें और भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा पर जल छिड़कें।

  • गणेश जी की पूजा के बाद धन्वंतरि भगवान का ध्यान करें और उन्हें फूल अर्पित करें।


धन्वंतरि भगवान का मंत्र


  • ओम नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धनवंतराये:
    अमृतकलश हस्ताय सर्वभय विनाशाय सर्वरोगनिवारणाय,
    त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
    श्री धन्वंतरि स्वरूप श्री श्री श्री अष्टचक्र नारायणाय नम:।


धन्वंतरि भगवान की आरती

ओम जय धनवंतरि देवा, जय धनवंतरि देवा,
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।
तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए,
देवासुर के संकट आकर दूर किए।
आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया,
सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।
भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी,
आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।
तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे,
असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।
हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा,
वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का चेरा।
धनवंतरिजी की आरती जो कोई जन गावे,
रोग-शोक न आवे, सुख-समृद्धि पावे।
ओम जय धनवंतरि देवा...