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नवरात्रि: देवी दुर्गा की आराधना का पर्व और उसकी महत्ता

नवरात्रि का पर्व देवी दुर्गा की आराधना का महत्वपूर्ण समय है, जिसमें पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से 2 अक्टूबर तक मनाई जाएगी। जानें इस पर्व का महत्व, पूजा विधि और शक्ति प्राप्ति के मंत्र।
 

नवरात्रि का महत्व

नवरात्रि का पर्व महाशक्ति की आराधना के लिए समर्पित है। यह पर्व तीन प्रमुख हिंदू देवियों - पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ स्वरूपों की पूजा का समय है, जिन्हें नवदुर्गा के नाम से जाना जाता है। पहले तीन दिन पार्वती के स्वरूपों की, अगले तीन दिन लक्ष्मी माता के स्वरूपों की और अंतिम तीन दिन सरस्वती माता के स्वरूपों की पूजा की जाती है। दुर्गा सप्तशती में देवताओं और दानवों के बीच युद्ध का विस्तृत वर्णन मिलता है, जिसमें देवी भगवती और मां पार्वती ने दानवों से लड़ाई कर देवताओं का साम्राज्य स्थापित किया। यही कारण है कि भारत के हर कोने में नवदुर्गाओं के मंदिर स्थापित हैं।


नवरात्रि की तिथियाँ

ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार, शारदीय नवरात्रि का पर्व 22 सितंबर से 2 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। इस बार तृतीया तिथि 24 और 25 सितंबर को होने के कारण नवरात्रि का पर्व 10 दिनों तक चलेगा, जो शुभ माना जाता है। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा 21 सितंबर की रात 1:24 बजे से शुरू होगी, जो 22 सितंबर की ब्रह्मवेला तक रहेगी। इस दिन से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होगी।


नौ दुर्गाओं का महत्व

डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि साल में दो बार चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि की लोक मान्यता अधिक है। नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करना शक्ति साधना और कृपा प्राप्ति का सरल उपाय है।


दुर्गा सप्तशती का पाठ

दुर्गा सप्तशती में 700 श्लोक हैं, जो देवी महात्म्य का वर्णन करते हैं। इसका पाठ करने से सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं। नवरात्रि के दौरान मां के कलश स्थापना के साथ शतचंडी, नवचंडी और देवी अथर्वशीर्ष का पाठ किया जाता है।


शक्ति प्राप्ति के मंत्र

ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि देवी दुर्गा के ध्यान मंत्र और प्रार्थनाएँ शक्ति प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावी हैं। इन मंत्रों का जाप करने से भक्तों की सभी समस्याएँ दूर होती हैं।