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पंजाब में बाढ़ प्रभावित किसानों के लिए मुख्यमंत्री ने भेजे 74 करोड़ रुपये के गेहूं के बीज

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने बाढ़ से प्रभावित किसानों के लिए 74 करोड़ रुपये के गेहूं के बीज भेजने की पहल की है। यह कदम किसानों की मदद के लिए उठाया गया है, जो बाढ़ के कारण गंभीर संकट में हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की मेहनत से देश का पेट भरता है और अब उनकी मदद करना सरकार का कर्तव्य है। जानें इस पहल के पीछे की कहानी और बाढ़ के प्रभावों के बारे में।
 

मुख्यमंत्री भगवंत मान की पहल

-74 करोड़ रुपये के गेहूं मुफ्त दिए जा रहे


चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने बाढ़ से प्रभावित किसानों की सहायता के लिए एक अनोखी पहल की है। उन्होंने स्वयं ट्रकों को हरी झंडी दिखाकर गेहूं के बीजों की आपूर्ति शुरू की। ये सात ट्रक गेहूं के बीज लेकर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की ओर बढ़े हैं, जो लाखों किसानों के लिए नई उम्मीद लेकर आए हैं। कुल 2 लाख क्विंटल गेहूं के बीज, जिनकी कीमत 74 करोड़ रुपये है, पूरी तरह से मुफ्त वितरित किए जा रहे हैं।


जब बाढ़ ने पंजाब को तबाह किया, तब किसानों की आंखों में केवल आंसू थे। लगभग पांच लाख एकड़ में खड़ी फसलें जलमग्न हो गईं, जिससे किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया। कर्ज में डूबे किसानों के लिए आत्महत्या का विचार भी आने लगा था। लेकिन सरकार ने समय पर निर्णय लिया और रबी की बुवाई से पहले बीजों की आपूर्ति शुरू कर दी। ये बीज बिना किसी कागजी कार्रवाई के सीधे गांवों में वितरित किए जाएंगे। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा, 'हमारे किसान इस देश की रीढ़ हैं। जब पूरा देश सोता है, तब भी किसान अपने खेतों में काम करता है। उनकी मेहनत से ही देश का पेट भरता है।' उन्होंने यह भी कहा कि पंजाब के किसानों ने हरित क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और अब उनकी मदद करना सरकार का कर्तव्य है।


बाढ़ की तबाही का मंजर सुनकर दिल दहल जाता है। पूरे पंजाब में 2,300 से अधिक गांव जलमग्न हो गए थे, जिससे 20 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए। सबसे दुखद यह रहा कि 56 मासूम जानें चली गईं। लगभग सात लाख लोग बेघर हो गए और उन्हें राहत शिविरों में रहना पड़ा। बच्चों की पढ़ाई बाधित हुई, बुजुर्गों को दवाइयां नहीं मिलीं, और महिलाओं को खाना बनाने की जगह नहीं मिली। यह आपदा पंजाब के इतिहास में सबसे भयानक मानी जा रही है।


शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर भी बाढ़ का गंभीर असर पड़ा। 3,200 सरकारी स्कूल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए, और 19 कॉलेज की इमारतें मलबे में तब्दील हो गईं। लाखों बच्चों की पढ़ाई ठप हो गई। इसके अलावा, 1,400 क्लीनिक और अस्पताल भी बर्बाद हो गए, जिससे मरीजों को इलाज के लिए दूर-दूर जाना पड़ा। कई गंभीर मरीजों को समय पर इलाज न मिलने के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी। यह केवल इमारतों का नुकसान नहीं था, बल्कि पूरी व्यवस्था ध्वस्त हो गई थी।


बुनियादी ढांचे के नुकसान का आकलन करने पर यह स्पष्ट होता है कि तबाही कितनी व्यापक थी। 8,500 किलोमीटर लंबी सड़कों का पूरी तरह से बह जाना या टूट जाना, और 2,500 पुलों का गिरना, गांवों का शहरों से संपर्क काट दिया। राशन, दवाइयां और आवश्यक सामान पहुंचाना मुश्किल हो गया। बिजली के खंभे गिरे, ट्रांसफार्मर जल गए, और कई हफ्तों तक अंधेरे में रहना पड़ा। नलों में पानी नहीं आया क्योंकि पंप खराब हो गए थे। जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया था। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार कुल नुकसान 13,800 करोड़ रुपये का है, लेकिन वास्तविक नुकसान इससे कहीं अधिक हो सकता है। फसलों का नुकसान, मवेशियों की मौत, घरों का टूटना, दुकानों का बह जाना, इन सबका हिसाब लगाना कठिन है। कई किसानों ने बताया कि उनकी पूरी जिंदगी की कमाई एक ही रात में बर्बाद हो गई। जिन्होंने बैंक से कर्ज लेकर खेती की थी, वे अब कर्ज चुकाने की स्थिति में नहीं हैं। इसलिए सरकार ने तुरंत राहत पहुंचाने का निर्णय लिया।