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पुरी में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा का शुभारंभ

ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा शुक्रवार को धूमधाम से आरंभ हुई। हजारों भक्तों ने श्रद्धा के साथ रथों को खींचा, और 'जय जगन्नाथ' के नारों से पूरा शहर गूंज उठा। इस ऐतिहासिक आयोजन में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु शामिल हुए। रथ यात्रा न केवल ओडिशा की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, बल्कि यह एकता और विश्वास का भी प्रतीक है। जानें इस उत्सव के बारे में और कैसे यह भारत की विविधता में एकता की भावना को दर्शाता है।
 

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा

शुक्रवार को ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा धूमधाम से आरंभ हुई। हजारों भक्तों ने श्रद्धा और उत्साह के साथ भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के विशाल रथों को खींचना शुरू किया। 'जय जगन्नाथ' के नारों से पूरा शहर गूंज उठा, जिससे वातावरण भक्तिमय हो गया। इस सदियों पुरानी परंपरा का हिस्सा बनने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पुरी पहुंचे।

सुबह से ही भक्त मंदिर के सामने भव्य रथों के चारों ओर इकट्ठा होने लगे थे। जैसे ही धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-अर्चना संपन्न हुई, रथ खींचने का उत्साह चरम पर पहुंच गया। भगवान जगन्नाथ का रथ 'नंदीघोष', भगवान बलभद्र का 'तालध्वज' और देवी सुभद्रा का 'दर्प दलन' – इन विशाल रथों को भक्तों ने श्रद्धा से खींचा। ये रथ मुख्य मंदिर से लगभग 3 किलोमीटर दूर स्थित गुंडिचा मंदिर की ओर बढ़ रहे हैं, जिसे भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है।

यह वार्षिक उत्सव ओडिशा की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का प्रतीक है, और यह एकता और विश्वास का भी प्रतीक है। लाखों लोग इस दिव्य क्षण का हिस्सा बनने के लिए एकत्र होते हैं, जो भारत की विविधता में एकता की भावना को दर्शाता है। यात्रा मार्ग पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं ताकि यह ऐतिहासिक आयोजन सुचारु रूप से संपन्न हो सके।