भौम प्रदोष व्रत 2025: शिव और हनुमानजी की कृपा पाने का सुनहरा अवसर
भौम प्रदोष व्रत 2025: पूजा का समय और महत्व
भौम प्रदोष व्रत 2025 की तिथि नजदीक आ रही है, और शिव भक्तों में उत्साह है! यह व्रत 8 जुलाई 2025 को मनाया जाएगा, जो हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव और हनुमानजी की सच्चे मन से भक्ति करने से सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं। यह व्रत केवल पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे की हनुमानजी की कथा भी प्रेरणादायक है। आइए, इस पावन व्रत की कथा, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से जानें, ताकि आप भी इस दिन शिव और हनुमानजी का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें!
भौम प्रदोष व्रत का महत्व
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत भगवान शिव की आराधना का एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो जीवन की कठिनाइयों को दूर करने में सहायक होता है। विशेष रूप से, भौम प्रदोष, जो मंगलवार को आता है, हनुमानजी की भक्ति से और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। यह मान्यता है कि इस व्रत को करने से न केवल शिवजी प्रसन्न होते हैं, बल्कि हनुमानजी भी भक्तों की हर प्रार्थना सुनते हैं। चाहे नौकरी में उन्नति हो, परिवार में सुख-शांति हो या मोक्ष की इच्छा, यह व्रत सभी इच्छाओं को पूरा करने का मार्ग प्रशस्त करता है। इसलिए, 8 जुलाई को शिव और हनुमानजी की कृपा पाने के लिए तैयार रहें!
भौम प्रदोष व्रत की कथा
यह कहानी एक वृद्धा की है, जो हनुमानजी पर अटूट विश्वास रखती थी। वह एक छोटे से गांव में अपने बेटे के साथ रहती थी और हर मंगलवार को हनुमानजी का व्रत करती थी। एक दिन, हनुमानजी ने साधु का रूप धारण कर उसकी भक्ति की परीक्षा लेने का निर्णय लिया। साधु बनकर वह वृद्धा के घर पहुंचे और कहा, “क्या कोई हनुमान भक्त है, जो मेरी भूख मिटाए?” वृद्धा ने तुरंत प्रणाम किया और उनकी सेवा में जुट गई।
शुभ मुहूर्त
भौम प्रदोष व्रत 2025 का शुभ मुहूर्त अत्यंत महत्वपूर्ण है। 8 जुलाई 2025 को प्रदोष पूजा का समय शाम 7:23 बजे से रात 9:24 बजे तक रहेगा। इस समय भगवान शिव और हनुमानजी की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है। पूजा से पहले स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र पहनें और शिवलिंग पर बेलपत्र, दूध और जल चढ़ाएं। हनुमान चालीसा का पाठ और “ॐ नमः शिवाय” का जाप अवश्य करें। इस समय की गई पूजा आपके जीवन में सुख और समृद्धि ला सकती है।
पूजा विधि
भौम प्रदोष व्रत की पूजा विधि सरल है, लेकिन इसे विधिपूर्वक करना आवश्यक है। सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। शाम को प्रदोष काल में शिव मंदिर जाएं या घर पर ही शिवलिंग की पूजा करें। शिवजी को गंगाजल, दूध, दही, शहद और बेलपत्र अर्पित करें। हनुमानजी को लाल फूल, सिंदूर और चोला चढ़ाएं। हनुमान चालीसा और शिव चालीसा का पाठ करें। पूजा के बाद प्रसाद बांटें और गरीबों को दान दें। इस व्रत में मन की शुद्धता और भक्ति सबसे महत्वपूर्ण है।