मंगला गौरी व्रत: एक साहूकार की संतान की कहानी और माता पार्वती की कृपा
मंगला गौरी व्रत का महत्व
सावन के महीने में हर मंगलवार का विशेष महत्व होता है, विशेषकर विवाहित महिलाओं के लिए। वर्ष 2025 में सावन का दूसरा मंगलवार मंगला गौरी व्रत के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएं माता पार्वती की पूजा करती हैं, अपने पतियों की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं।
व्रत की कथा का महत्व
मंगला गौरी व्रत की कथा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह विश्वास और संकल्प की एक जीवंत मिसाल भी है। माता गौरी की कृपा पाने के लिए इस कथा का श्रवण या पाठ करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। आइए, इस अद्भुत व्रत की संपूर्ण पौराणिक कथा को जानते हैं।
साहूकार की संतानहीनता
एक छोटे से गांव में एक धनी साहूकार अपनी पत्नी के साथ निवास करता था। उनके पास धन की कोई कमी नहीं थी, लेकिन वे संतान की कमी से दुखी थे। एक दिन, एक साधु उनके घर आए और साहूकार ने अपनी समस्या बताई। साधु ने साहूकार की पत्नी को सलाह दी कि वह सावन के मंगलवार को मंगला गौरी व्रत करें।
व्रत की शुरुआत
साहूकार की पत्नी ने श्रद्धा से व्रत करना शुरू किया। उसने सावन के पहले मंगलवार से नियमित रूप से व्रत और पूजा की। उसकी भक्ति से माता पार्वती प्रसन्न हुईं और भगवान शिव से संतान का वरदान मांगा।
स्वप्न में संकेत
एक रात साहूकार को स्वप्न में दिखा कि एक आम के पेड़ के नीचे भगवान गणेश की मूर्ति है। उसने सपने के अनुसार आम तोड़कर अपनी पत्नी को खिलाने का निर्णय लिया। लेकिन एक पत्थर गलती से गणेश प्रतिमा पर लग गया, जिससे भगवान गणेश क्रोधित हो गए और श्राप दिया कि संतान तो मिलेगी, लेकिन उसकी आयु केवल 21 वर्ष होगी।
पुत्र का जन्म
साहूकार ने स्वप्न की बात छुपाकर आम अपनी पत्नी को खिला दिया। कुछ समय बाद उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई। वह बड़ा होकर पिता के व्यापार में मदद करने लगा, लेकिन साहूकार हमेशा बेटे की अल्पायु को लेकर चिंतित रहते थे।
कन्याओं की बातचीत
एक दिन साहूकार अपने पुत्र के साथ भोजन कर रहा था, तभी दो कन्याएं, कमला और मंगला, कपड़े धोने आईं। कमला ने मंगला को मंगला गौरी व्रत रखने की सलाह दी। साहूकार ने उनकी बात सुनी और सोचा कि जो कन्या यह व्रत करती है, वह उसके पुत्र के लिए उपयुक्त जीवनसंगिनी होगी। उन्होंने विवाह का प्रस्ताव रखा और विवाह संपन्न हुआ।
कमला की भक्ति
कमला ने विवाह के बाद भी मंगला गौरी व्रत करना जारी रखा। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर माता पार्वती ने उसे स्वप्न में दर्शन दिए और उसके पति की अल्पायु के रहस्य को बताया। उन्होंने कहा कि अगले मंगलवार को एक सर्प उसके पति की जान लेने आएगा और उपाय भी बताया।
संकट का समाधान
कमला ने माता पार्वती के निर्देशों का पालन किया। उसने एक प्याले में मीठा दूध रखा और पास में एक मटकी रखी। सर्प दूध पीकर मटकी में चला गया और कमला ने उसे कपड़े से ढककर जंगल में रख दिया। इस उपाय से कमला का पति मृत्यु से बच गया और श्राप से मुक्ति मिली।
सुखद अंत
इस चमत्कार के बाद पूरे परिवार में खुशी का माहौल बन गया। साहूकार और उसकी पत्नी ने पुत्र और बहू को आशीर्वाद दिया और वे सभी सुखपूर्वक जीवन बिताने लगे। यह कथा मंगला गौरी व्रत की महिमा को दर्शाती है कि सच्ची आस्था और श्रद्धा से हर संकट को मात दी जा सकती है।