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मकर संक्रांति 2026: विशेष योग और दान का महत्व

मकर संक्रांति 2026 का पर्व भारत में विभिन्न नामों से मनाया जाता है, जिसमें गुजरात में इसे उत्तरायण और दक्षिण में पोंगल कहा जाता है। इस वर्ष, मकर संक्रांति पर दो शुभ योग बन रहे हैं, जो विशेष फल देने वाले हैं। इस दिन सूर्य मंत्रों का जाप और दान का महत्व भी अत्यधिक है। जानें इस पर्व के विशेष अवसर पर क्या करना चाहिए और किस प्रकार से लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
 

मकर संक्रांति का पर्व

मकर संक्रांति 2026: भारत में मकर संक्रांति का पर्व विभिन्न नामों से मनाया जाता है। गुजरात में इसे उत्तरायण के नाम से जाना जाता है, जबकि दक्षिण भारत में इसे पोंगल के रूप में मनाते हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्रों में इस दिन खिचड़ी बनाई जाती है और दान की जाती है। सूर्य देव जब पौष मास में मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्रांति का उत्सव मनाया जाता है। 14 जनवरी को आने वाली मकर संक्रांति पर शुभ कार्य करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।


मकर संक्रांति पर शुभ योग

शुभ योग में मकर संक्रांति:
इस वर्ष मकर संक्रांति पर दो महत्वपूर्ण शुभ योग बन रहे हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग सुबह 7:15 बजे से शुरू होकर अगले दिन सुबह 3:03 बजे तक रहेंगे। इन योगों में स्नान और दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।


सूर्य मंत्र का महत्व

मंत्र जाप के लाभ:
मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए विशेष सूर्य मंत्रों का जाप करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, सूर्य मंत्र का जाप करने से सूर्य और शनि ग्रह की स्थिति भी मजबूत होती है।


दान का महत्व

मकर संक्रांति के दिन दान और पुण्य का विशेष महत्व है। इस दिन चावल, मूंग दाल, काले तिल, गुड़, तांबे के बर्तन, ऊनी कपड़े और अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान करना शुभ माना जाता है।