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मां दुर्गा के विसर्जन के समय ध्यान रखने योग्य बातें

मां दुर्गा के विसर्जन का पर्व भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दिन भक्तजन मां की मूर्ति को पवित्र जल में प्रवाहित करते हैं और विभिन्न धार्मिक विधियों का पालन करते हैं। विसर्जन के समय ध्यान रखने योग्य बातें और विधियों के बारे में जानें, ताकि आप इस पवित्र अवसर का सही तरीके से पालन कर सकें।
 

दशमी के दिन मां दुर्गा का विसर्जन


दशमी के दिन मां दुर्गा का विसर्जन
Durga Visarjan, नई दिल्ली: शारदीय नवरात्र के नौ दिनों में भक्तजन मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा करते हैं। इस दौरान घरों और पंडालों में माता की आराधना की जाती है, जिसमें श्रद्धालु व्रत और कीर्तन के माध्यम से वातावरण को पवित्र बनाते हैं। लेकिन नवरात्रि के दसवें दिन मां दुर्गा का विसर्जन किया जाता है।


विसर्जन का समय

इस वर्ष, विजयादशमी का विसर्जन 2 अक्टूबर 2025 को दोपहर 02:56 बजे तक किया जा सकता है। भक्त विसर्जन से पूर्व देवी दुर्गा का आभार व्यक्त करते हैं। इसके बाद षोडशोपर पूजन के साथ रोली, फूल, मिठाई आदि अर्पित किए जाते हैं। अंत में मां की आरती की जाती है।


कलश का विसर्जन

मां दुर्गा को सिंदूर लगाने के बाद भक्तगण ढोल-नगाड़ों के साथ मूर्ति को किसी पवित्र जल स्रोत में प्रवाहित करते हैं। पूजा के दौरान स्थापित कलश का भी विसर्जन किया जाता है।


कलश का जल छिड़कना

कलश के जल को घर में छिड़कना चाहिए। यदि जल बच जाए, तो उसे पीपल के पेड़ पर डालना चाहिए। नारियल और सिक्के को लाल कपड़े में बांधकर घर के मंदिर या तिजोरी में रखना चाहिए। ऐसा करने से माता की कृपा बनी रहती है और धन-धान्य में वृद्धि होती है।


विसर्जन की विधि

  • इस दिन मां जया और विजया का पूजन करें और माता से विजय का आशीर्वाद लें।
  • विसर्जन से पहले मां दुर्गा को घर आने के लिए धन्यवाद दें।
  • रोली, अक्षत, फल, फूल, मिठाई और वस्त्र अर्पित करें और श्रद्धा से आरती करें।
  • मूर्ति को ढोल-नगाड़ों के साथ उठाएं और किसी पवित्र जल में प्रवाहित करें।
  • कलश और सामग्री का विसर्जन करें और कलश के जल का छिड़काव करें।
  • कलश के ऊपर रखा नारियल विवाहित महिला को दें या लाल कपड़े में बांधकर मंदिर में रखें।
  • सिक्का निकालकर उसे लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखें।
  • अक्षत को मुख्य द्वार पर लाल कपड़े में बांधकर टांगें।
  • ज्वारे बोए हैं तो उन्हें कान पर रखें और फिर विसर्जित करें।


विसर्जन का महत्व

विसर्जन के माध्यम से मां दुर्गा की विदाई होती है, जो उनके कैलाश पर्वत पर लौटने का प्रतीक है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है और हमें जीवन में सकारात्मकता बनाए रखने की प्रेरणा देता है। विसर्जन के समय लोग अपने प्रियजनों के साथ मिलकर जश्न मनाते हैं और मां की कृपा की कामना करते हैं।