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मार्गशीर्ष महीने का महत्व और दीपदान की विशेषता

मार्गशीर्ष का महीना हिंदू कैलेंडर का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है। इस महीने में दीपदान करने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। जानें दीप जलाने के उपयुक्त स्थान जैसे तुलसी के पास, मुख्य द्वार, पीपल के नीचे और मंदिर में। यह लेख मार्गशीर्ष महीने की धार्मिक मान्यताओं और दीपदान के महत्व को उजागर करता है।
 

मार्गशीर्ष का महीना और इसकी विशेषताएँ

6 नवंबर से मार्गशीर्ष का महीना आरंभ हो रहा है, जिसे हिंदू कैलेंडर का नौवां महीना माना जाता है। इस महीने को भगवान श्रीकृष्ण ने अपने स्वरूप के रूप में प्रस्तुत किया है, इसलिए इसे उनकी पूजा के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि इस महीने का विशेष महत्व है, जैसा कि भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमद्भागवत गीता में कहा है, "मासानां मार्गशीर्षोऽहम्"। इस माह में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा, जप, तप और दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। मार्गशीर्ष में दीपदान का विशेष महत्व है। यदि आप सुख और समृद्धि की कामना करते हैं, तो इस महीने में अपने घर के पवित्र स्थानों पर दीपक अवश्य जलाएं।


दीपदान का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार, मार्गशीर्ष माह में दीपदान करने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। दीपक अंधकार को दूर करके प्रकाश और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। यह माना जाता है कि सही स्थान पर दीप जलाने से घर के वास्तु दोष, नकारात्मकता और जीवन के कष्ट समाप्त हो जाते हैं।


दीपक जलाने के उपयुक्त स्थान

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