मुरथल के अमरीक सुखदेव: एक साधारण ढाबे से 100 करोड़ का साम्राज्य
दिल्ली-एनसीआर के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य
दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोगों के लिए यह एक सामान्य बात है: "चलो, मुरथल में अमरीक सुखदेव के पराठे खाने चलते हैं।" दोस्तों के बीच यह साधारण बातचीत अक्सर हरियाणा के मुरथल की अनियोजित यात्रा में बदल जाती है। राष्ट्रीय राजमार्ग 44 पर स्थित अमरीक सुखदेव अब एक साधारण ढाबे से एक प्रसिद्ध भोजनालय बन चुका है, जो हर आयु वर्ग के लोगों को आकर्षित करता है।
साधारण शुरुआत से सफलता की ओर
एक साधारण शुरुआत
1956 में सरदार प्रकाश सिंह ने मुरथल में एक छोटा सा ढाबा खोला। तब यह एक तंबू में संचालित होता था, जहां ट्रक ड्राइवरों को दाल, रोटी, सब्जी और चावल जैसे साधारण भोजन परोसे जाते थे। लोग खुले में चारपाइयों पर बैठकर खाना खाते थे। 1990 में उनके बेटों, अमरीक और सुखदेव, ने व्यवसाय को संभाला और इसे एक आधुनिक रेस्तरां में बदल दिया। अब यह न केवल उत्तर भारतीय व्यंजन, बल्कि दक्षिण भारतीय व्यंजन भी परोसता है, जिससे इसकी लोकप्रियता और बढ़ी।
100 करोड़ का साम्राज्य
100 करोड़ का साम्राज्य
इंस्टाग्राम क्रिएटर रॉकी सग्गू ने हाल ही में अमरीक सुखदेव की विकास गाथा पर एक वीडियो साझा किया। उन्होंने बताया, "रेस्तरां अब सालाना लगभग 100 करोड़ रुपये कमाता है।" यह प्रतिदिन 5,000 से 10,000 ग्राहकों को सेवा देता है और 500 कर्मचारियों की टीम इसे सुचारू रूप से चलाती है। रॉकी ने इसकी सफलता के तीन प्रमुख कारण बताए:
ग्राहक विश्वास: शुरुआत में ट्रक और टैक्सी ड्राइवरों को मुफ्त या रियायती भोजन देकर परिवार ने वफादार ग्राहक बनाए।
गुणवत्ता: मालिक स्वयं हर नए व्यंजन का स्वाद लेते हैं, जिससे गुणवत्ता बनी रहती है।
कुशल संचालन: "गति और पैमाने" के मंत्र के साथ, 150 टेबल और 45 मिनट के टर्नअराउंड समय में यह प्रतिदिन 9,000 ग्राहकों को सेवा देता है।
वैश्विक पहचान
वैश्विक पहचान
जनवरी में अमरीक सुखदेव को टेस्टएटलस की 'विश्व के 100 सबसे प्रतिष्ठित रेस्तरां' सूची में स्थान मिला। बिना बड़े विज्ञापन के, केवल मुंह-ज़बानी प्रचार से यह वैश्विक पहचान तक पहुंचा।