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रक्षा बंधन: भाई-बहन के रिश्ते का पवित्र पर्व

रक्षा बंधन का पर्व भाई-बहन के रिश्ते की गहराई को दर्शाता है। यह न केवल पारिवारिक प्रेम का प्रतीक है, बल्कि भारतीय समाज की एकता का संदेश भी देता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को राखी बांधकर उनकी उन्नति और स्वास्थ्य की कामना करती हैं, जबकि भाई अपनी बहनों की रक्षा का वचन लेते हैं। जानें इस पर्व की रस्में, पौराणिक प्रसंग और ऐतिहासिक कहानियाँ जो इस पर्व को और भी खास बनाती हैं।
 

रक्षा बंधन का महत्व

भारतीय संस्कृति में भाई-बहन का संबंध अत्यंत पवित्र और भावनात्मक माना जाता है। इस रिश्ते की गहराई को दर्शाने वाला पर्व "रक्षा बंधन" है। यह पर्व न केवल पारिवारिक प्रेम का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय समाज की सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का भी संदेश देता है। श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाए जाने वाले इस पर्व के लिए बहनें पहले से ही तैयारियों में जुट जाती हैं। यदि भाई दूर रहता है, तो उसे पहले से ही राखी भेज दी जाती है। भाइयों को भी बहन के आने का या उसकी भेजी हुई राखी का बेसब्री से इंतजार रहता है। छोटे बच्चे इस त्यौहार को इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि उन्हें अपने पसंदीदा कार्टून कैरेक्टरों की राखी पहनने को मिलती है। इस दिन बाजार रंग-बिरंगी राखियों से भरा रहता है, जिसमें अधिकतर चीन में बनी राखियां होती हैं, जो आकर्षक तो होती हैं, लेकिन पारंपरिक रंगों की सुंदरता के आगे फीकी लगती हैं।


रक्षा बंधन की रस्में

इस दिन बहनें अपने भाई के हाथ पर राखी बांधकर उनकी उन्नति और स्वास्थ्य की कामना करती हैं। भाई भी अपनी बहन की रक्षा का वचन लेते हैं और उपहार स्वरूप बहन को उसकी पसंद की चीजें देकर खुश करते हैं। इस दिन बहनों को सुबह हनुमानजी और पितरों की पूजा करनी चाहिए। पूजा में जल, रोली, चावल, फूल, प्रसाद, नारियल, राखी, दक्षिणा, धूपबत्ती और दीपक शामिल होते हैं। यदि घर में ठाकुर जी का मंदिर हो, तो उसकी भी पूजा की जाती है।


पूजा की तैयारी

इस दिन सुबह बहनें पूजा की थाली सजाती हैं, जिसमें राखी, रोली, हल्दी, चावल और मिठाई होती है। भाई की आरती उतारने के लिए थाली में दीपक भी रखा जाता है। बहनें इस दिन व्रत भी रखती हैं और भाई को राखी बांधने के बाद ही कुछ खाती हैं। भाई को साफ आसन पर बिठाकर उसे टीका करना चाहिए और फिर राखी बांधनी चाहिए। इसके बाद, किसी वस्तु या पैसे का न्यौछावर करके उसे गरीबों में दे देना चाहिए। इस पर्व की एक खासियत यह है कि यह धर्म, जाति और देश की सीमाओं से परे है। राखी का धागा धन, शक्ति, हर्ष और विजय का प्रतीक माना जाता है।


पौराणिक और ऐतिहासिक प्रसंग

रक्षा बंधन से जुड़े कुछ पौराणिक प्रसंग भी हैं, जैसे भविष्य पुराण में वर्णित देव-दानव युद्ध का प्रसंग। इसमें कहा गया है कि जब देव और दानवों के बीच युद्ध हुआ, तब भगवान इन्द्र की पत्नी इंद्राणी ने रेशम का धागा अपने पति के हाथ पर बांध दिया। इसी धागे की शक्ति से इन्द्र ने युद्ध में विजय प्राप्त की।
एक ऐतिहासिक प्रसंग में, मेवाड़ की महारानी कर्मावती ने मुगल राजा हुमायूं को राखी भेजकर रक्षा की याचना की थी। हुमायूं ने राखी की लाज रखते हुए मेवाड़ की रक्षा की।
भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी का प्रसंग भी प्रसिद्ध है, जब द्रौपदी ने श्रीकृष्ण की उंगली पर पट्टी बांधी थी। यह भी श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था।


रक्षा बंधन का संदेश

रक्षा बंधन एकता और भाईचारे का पर्व है। यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाता है और प्रेम को पुनर्जीवित करता है। इस दिन ब्राह्मण अपने पवित्र जनेऊ बदलते हैं और धर्मग्रंथों के अध्ययन के प्रति समर्पित होते हैं।