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रक्षाबंधन पर राखी बांधने के महत्वपूर्ण नियम

रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे कुछ महत्वपूर्ण नियम हैं? इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कैसे शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें, राखी को गंगाजल से शुद्ध करें और सही दिशा में राखी बांधें। जानें इन नियमों का पालन करने से रक्षाबंधन का महत्व कैसे बढ़ता है।
 

रक्षाबंधन का महत्व

रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है। यह केवल एक धागा नहीं, बल्कि प्रेम, विश्वास और एक-दूसरे की रक्षा का संकल्प है। हर वर्ष, इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र और खुशहाल जीवन की कामना करती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि राखी बांधने के कुछ विशेष नियम होते हैं? इन नियमों का पालन करने से रक्षाबंधन का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस लेख में, हम आपको कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में बताएंगे, जिनका ध्यान राखी बांधने से पहले रखना चाहिए।


शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें

हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य के लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना आवश्यक होता है। रक्षाबंधन जैसे पर्व पर भद्राकाल का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पौराणिक मान्यता के अनुसार, भद्रा शनिदेव की बहन मानी जाती है और इसे अशुभ माना जाता है। कहा जाता है कि भद्राकाल में किया गया शुभ कार्य फलदायी नहीं होता है, और कभी-कभी इसके विपरीत प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं। उदाहरण के लिए, लंकापति रावण की बहन ने उसे भद्राकाल में राखी बांधी थी, जिसके परिणामस्वरूप रावण का विनाश हुआ। इसलिए, बहनों को अपने भाइयों को राखी भद्रा रहित काल में बांधनी चाहिए।


राखी को गंगाजल से शुद्ध करें

राखी केवल एक धागा नहीं है, बल्कि यह बहन के प्रेम और भाई के प्रति उसकी मंगलकामनाओं का प्रतीक है। जब हम बाजार से राखी खरीदते हैं, तो यह कई हाथों से गुजरती है, और हमें यह नहीं पता होता कि इसे बनाने वाले या बेचने वाले लोगों की ऊर्जा कैसी है। इसलिए, राखी बांधने से पहले इसे गंगाजल से शुद्ध करना चाहिए। इससे राखी सभी नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्त हो जाती है। गंगाजल से शुद्ध राखी में दैवीय शक्ति होती है, जो भाई को बाहरी बुराइयों से बचाती है और उसके जीवन में सुख-समृद्धि लाती है।


सही दिशा में बैठकर राखी बांधें

हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य के लिए दिशा का विशेष महत्व होता है। सही दिशा में बैठकर पूजा या कोई शुभ अनुष्ठान करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, राखी बांधते समय भाई का मुख हमेशा पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। पूर्व दिशा को सूर्योदय की दिशा माना जाता है, जो सकारात्मकता और नई शुरुआत का प्रतीक है। इस दिशा में बैठने से भाई को आरोग्य और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।