राधा कुंड स्नान: संतान प्राप्ति के लिए विशेष अवसर
राधा कुंड स्नान का महत्व
जानें कब होगा राधा कुंड स्नान
हर साल कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मथुरा के गोवर्धन में राधा कुंड में स्नान का आयोजन होता है। इस स्नान का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे निसंतान दंपत्तियों के लिए संतान प्राप्ति का एक साधन माना जाता है। राधा कुंड गोवर्धन परिक्रमा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अहोई अष्टमी के दिन विवाहित जोड़े इस कुंड में स्नान करते हैं और राधा रानी से संतान की कामना करते हैं।
राधा कुंड स्नान का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 13 अक्टूबर को रात 12:24 बजे से शुरू होगी और 14 अक्टूबर को सुबह 11:09 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, राधा कुंड स्नान 13 अक्टूबर को किया जाएगा। इस दिन स्नान का मुहूर्त इस प्रकार है:
- राधा कुंड स्नान मुहूर्त: रात 11:41 से रात 12:30 तक
निशिता काल में स्नान का महत्व
मान्यता है कि जो भी श्रद्धा से अहोई अष्टमी के दिन राधा कुंड में स्नान करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। विशेष रूप से, यदि कोई व्यक्ति अर्ध रात्रि में निशिता काल में स्नान करता है, तो उसकी संतान प्राप्ति की इच्छा भी पूरी हो सकती है।
भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद
राधा कुंड में स्नान करने से साधक को राधा रानी और भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए, निसंतान दंपत्ति इस कुंड में स्नान करने आते हैं। जब उनकी संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी होती है, तो वे पुनः इस कुंड में आकर स्नान करते हैं और राधा रानी का धन्यवाद करते हैं।
स्नान की विधि
संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले जोड़े पूरे दिन व्रत रखते हैं और मध्य रात्रि में कुंड में स्नान करते हैं। इस दौरान, वे कच्चा सफेद कद्दू जिसे पेठा कहा जाता है, एक लाल कपड़े में बांधकर अपने हाथों में रखते हैं। राधा रानी का ध्यान करते हुए मनोकामना करते हैं और फिर इसे राधा रानी को अर्पित करते हैं।