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राष्ट्रीय हथकरघा दिवस 2025: भारतीय बुनाई कला का उत्सव

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस हर साल 7 अगस्त को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य भारत की पारंपरिक बुनाई कला को सम्मानित करना है। इस दिन बुनकरों के योगदान को मान्यता दी जाती है और देशभर में मेलों का आयोजन किया जाता है। 2025 की थीम 'DREAM IT, DO IT' है, जो भारतीय हथकरघा उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाने पर केंद्रित है। जानें इस दिन के महत्व और उत्सव के बारे में अधिक जानकारी।
 

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का महत्व

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस 2025: हर साल 7 अगस्त को मनाया जाने वाला यह दिन भारत की पारंपरिक बुनाई कला और हथकरघा उद्योग को सम्मानित करने के लिए समर्पित है। इस अवसर पर बुनकरों और कारीगरों के योगदान को मान्यता दी जाती है।


इस दिन की उत्पत्ति

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस की शुरुआत भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय द्वारा की गई थी। इसे 7 अगस्त 2015 को तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चेन्नई में आयोजित एक समारोह में औपचारिक रूप से लॉन्च किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य भारत की पारंपरिक बुनाई कला को बढ़ावा देना और बुनकरों को प्रोत्साहित करना है।


इस दिन का एक और उद्देश्य स्थानीय उत्पादों को अपनाने के लिए जागरूकता फैलाना और 'वोकल फॉर लोकल' की भावना को मजबूत करना है।


हथकरघा दिवस का उत्सव

7 अगस्त को देशभर में हथकरघा मेलों और प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता है, जहां विभिन्न राज्यों के पारंपरिक वस्त्र प्रदर्शित किए जाते हैं। लोग इस दिन अपने पारंपरिक वस्त्र पहनकर फोटो साझा करते हैं और सोशल मीडिया पर अपने अनुभव साझा करते हैं। छात्रों को भारतीय हस्तकला के बारे में जानकारी दी जाती है।


इस साल की थीम

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस 2025 की थीम 'DREAM IT, DO IT' है, जो देश के हथकरघा क्षेत्र को वैश्विक पहचान दिलाने पर जोर देती है। सरकार का उद्देश्य है कि भारतीय हथकरघा उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रमुखता मिले और कारीगरों को उनकी मेहनत का उचित फल मिले।