विवाह पंचमी पर भगवान राम और माता सीता की कृपा पाने के लिए करें ये 5 कार्य
विवाह पंचमी का महत्व
25 नवंबर को मनाई जाएगी विवाह पंचमी
विवाह पंचमी के अवसर पर भगवान राम और माता सीता की विशेष पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, त्रेता युग में मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह सम्पन्न हुआ था। इस दिन कुछ विशेष कार्य करने से जीवन में सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
व्रत का महत्व
विवाह पंचमी के दिन व्रत का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस व्रत के माध्यम से भक्त भगवान श्रीराम और माता सीता की कृपा प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उनके जीवन में सुख और शांति बनी रहती है।
पूजा में अर्पित करें ये सामग्री
इस दिन भगवान श्री राम और माता जानकी की पूजा विधिपूर्वक करें। पूजा के दौरान माता जानकी को सुहाग सामग्री जैसे सिंदूर, बिधिया और लाल चुनरी अर्पित करना चाहिए, जिससे सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।
पाठ का महत्व
विवाह पंचमी पर तुलसीदास जी की रचित श्री रामचरितमानस की सिद्ध चौपाइयों का जप करना चाहिए। इसके साथ ही भगवान श्रीराम और माता सीता की चालीसा का पाठ करने से भी शुभ फल की प्राप्ति होती है।
दान का महत्व
इस दिन दान करना भी बहुत पुण्य का कार्य माना जाता है। आप अपनी सामर्थ्यानुसार किसी जरूरतमंद व्यक्ति को अन्न या धन का दान कर सकते हैं। मंदिर में दान करना भी अत्यंत फलदायी होता है।
मंत्रों का जप
- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री रामाय नम:
- ॐ सीतायै नम:
- श्री सीता-रामाय नम:।।
- राम गायत्री मंत्र: ॐ दशरथाय विद्महे, सीता वल्लभाय धीमहि, तन्नो राम प्रचोदयात्।
- सीता गायत्री मंत्र: ॐ जनकनंदिन्यै विद्महे भूमिजायै धीमहि तन्नो सीता प्रचोदयात।।