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विवाह पंचमी: भगवान राम और माता सीता की पूजा का सही तरीका

विवाह पंचमी, भगवान राम और माता सीता के विवाह की वर्षगांठ है, जिसे हिंदू धर्म में विशेष महत्व दिया जाता है। इस दिन भक्तजन भव्य पूजा करते हैं, जिससे उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। जानें इस पर्व की तिथि, पूजा विधि और विवाह में बाधाओं को दूर करने के उपाय।
 

जल्द विवाह के अवसर


विवाह पंचमी का महत्व
यह पर्व भगवान राम और माता सीता के विवाह की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इसे अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन भक्तजन भगवान राम और माता जानकी की भव्य पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।


विवाह पंचमी की तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 24 नवंबर को रात 09:22 बजे प्रारंभ होगी और 25 नवंबर को रात 10:56 बजे समाप्त होगी। इस दिन को विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाएगा, जो भगवान राम और माता सीता के विवाह की स्मृति में मनाया जाता है।


पूजा विधि


  • भगवान राम और माता सीता की मूर्तियों की स्थापना करें।

  • भगवान राम को पीले और लाल वस्त्र पहनाएं, और माता सीता को सुहाग सामग्री अर्पित करें।

  • उन्हें चंदन, रोली, अक्षत, धूप, दीप और फूल अर्पित करें।

  • रामचरितमानस में राम-सीता विवाह का पाठ करें।

  • पूजा के अंत में आरती करें।

  • तामसिक वस्तुओं से दूर रहें।

  • पूजा के अंत में गलतियों के लिए क्षमा मांगें।


भोग का महत्व

विवाह पंचमी के दिन भगवान राम और माता सीता को गुड़ से बनी मिठाइयाँ, खीर, या पीले रंग की मिठाई का भोग अर्पित करना चाहिए। कई भक्त इस दिन पांच प्रकार के फलों का भी भोग लगाते हैं।


विवाह में बाधाओं के उपाय

जो लोग विवाह में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, उन्हें इस दिन व्रत रखकर विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। साथ ही, राम-सीता को पीले वस्त्र अर्पित करने से विवाह में रुकावटें दूर होती हैं और मनचाहा साथी मिलता है। ध्यान रखें कि मूर्तियाँ एक साथ स्थापित हों।