विवाह पंचमी: भगवान श्रीराम और मां सीता का पवित्र विवाह
विवाह पंचमी, भगवान श्रीराम और माता सीता के पवित्र विवाह की स्मृति में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। यह पर्व हर साल अगहन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष, यह 25 नवंबर 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन विशेष शुभ योग बनते हैं, जो दांपत्य जीवन में सुख और समृद्धि लाने का विश्वास दिलाते हैं। जानें इस पर्व की पूजा विधि, तिथि और महत्व के बारे में विस्तार से।
Nov 25, 2025, 12:18 IST
विवाह पंचमी का महत्व
विवाह पंचमी हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो भगवान श्रीराम और माता सीता के पवित्र विवाह की स्मृति में मनाया जाता है। यह पर्व हर साल अगहन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है और इसे वैवाहिक जीवन में सुख और सौभाग्य लाने वाला माना जाता है।
तिथि और शुभ मुहूर्त
इस वर्ष विवाह पंचमी का पर्व 25 नवंबर 2025 को मनाया जाएगा। पंचमी तिथि की शुरुआत 24 नवंबर की रात 09:22 बजे से होगी और समाप्ति 25 नवंबर की रात 10:56 बजे होगी। इस दिन ध्रुव योग, शिववास योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है।
पूजन विधि
इस दिन सुबह जल्दी स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें। पूजा स्थान को स्वच्छ करें और भगवान श्रीराम और माता सीता की प्रतिमा स्थापित करें। प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध करें और जलाभिषेक करें। फिर भगवान श्रीराम और माता सीता को पीले वस्त्र पहनाएं या अर्पित करें। इसके बाद ताजे फूल, अक्षत, चंदन, रोली, हल्दी आदि अर्पित कर विधिविधान से पूजा करें। मिठाई, फल, गुड़ और खीर जैसे भोग अर्पित करें। दीपक जलाकर धूप-दीप करें। अंत में सीता-राम विवाह स्तुति, रामरक्षा स्तोत्र या रामचरितमानस के बालकांड का पाठ करें। पूजा के समापन पर घर-परिवार की सुख-समृद्धि और दांपत्य जीवन की मंगलकामना करें।
महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, त्रेतायुग में इस दिन भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह हुआ था। इसलिए इस दिन को विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि जो श्रद्धालु इस दिन विधिविधान से भगवान श्रीराम और माता सीता की पूजा करते हैं, उनके सभी कार्य सफल होते हैं और वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि आती है।