शनि अमावस्या: उपाय और महत्व
शनि अमावस्या का दिन विशेष धार्मिक महत्व रखता है। इस दिन शनिदेव की पूजा से शनि दोष, साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभावों को कम किया जा सकता है। जानें इस दिन के विशेष उपाय, मुहूर्त और मंत्र जो आपको संकटों से मुक्ति दिला सकते हैं।
Aug 18, 2025, 06:51 IST
शनि देव की पूजा से संकटों का निवारण
शनि अमावस्या का महत्व
सनातन धर्म में अमावस्या का विशेष स्थान है। इस दिन पितरों की पूजा करने से घर में सुख और समृद्धि बढ़ती है। गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान और दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। इस वर्ष भाद्रपद अमावस्या 23 अगस्त को है, जो शनिवार को पड़ रही है। इसे शनिश्चरी अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन शनिदेव की पूजा से शनि दोष, साढ़ेसाती और ढैय्या के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है।
शनि अमावस्या का मुहूर्त
भाद्रपद माह की अमावस्या तिथि 22 अगस्त 2025 को सुबह 11:55 बजे से शुरू होगी और 23 अगस्त को सुबह 11:35 बजे समाप्त होगी।
स्नान मुहूर्त: सुबह 4:26 - सुबह 5:10
पूजा मुहूर्त: सुबह 7:32 - सुबह 9:09
शनि पूजा: शाम 6:52 - रात 8:15
शनि अमावस्या पर उपाय
- शनिश्चरी अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान, दान, पिंडदान और तर्पण करने से सभी पाप समाप्त होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- शनिदेव की मूर्ति पर तेल, फूल माला और प्रसाद अर्पित करें। उनके चरणों में काले उड़द और तिल चढ़ाएं। इसके बाद तेल का दीपक जलाकर शनि चालीसा का पाठ करें।
- इस दिन किसी गरीब व्यक्ति को भोजन कराना बहुत शुभ माना जाता है।
शनि देव के मंत्र
- ॐ शं शनिश्चराय नम:
- अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया। दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।। गतं पापं गतं दु:खं गतं दारिद्रय मेव च। आगता: सुख-संपत्ति पुण्योऽहं तव दर्शनात्।।
- ऊँ शन्नो देवीरभिष्टडआपो भवन्तुपीतये।
- ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम। उर्वार्रक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात। ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शंयोरभिश्रवन्तु न:। ऊँ शं शनैश्चराय नम:। ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।