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शारदीय नवरात्र: पूजा विधि और महत्व

शारदीय नवरात्र का पर्व देवी दुर्गा की आराधना का उत्सव है, जिसमें भक्त नौ दिनों तक मां के विभिन्न स्वरूपों की पूजा करते हैं। इस दौरान विशेष रंगों का महत्व होता है और कई सांस्कृतिक परंपराएं निभाई जाती हैं। जानें इस पर्व की पूजा विधि, पौराणिक मान्यताएं, और इस साल के विशेष आयोजन के बारे में।
 

शारदीय नवरात्र का आगाज़

आज से शारदीय नवरात्र का पर्व शुरू हो रहा है, जिसमें माता के नौ स्वरूपों की पूजा का विधान है, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है। भक्त इन नौ दिनों में देवी के विभिन्न रूपों की उपासना कर विभिन्न फल और सिद्धियां प्राप्त करते हैं। आइए, हम आपको शारदीय नवरात्र व्रत की विधि और इसके महत्व के बारे में जानकारी देते हैं। 


शारदीय नवरात्र के बारे में जानें

नवरात्रि का पर्व देवी शक्ति मां दुर्गा की आराधना का उत्सव है। इस दौरान देवी शक्ति के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। साल में पांच बार नवरात्र आते हैं: चैत्र, आषाढ़, अश्विन, पौष और माघ। इनमें से चैत्र और अश्विन नवरात्रि को मुख्य माना जाता है। शारदीय नवरात्रि अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनाई जाती है, और इसे शरद ऋतु के आगमन के कारण शारदीय नवरात्रि कहा जाता है।


शारदीय नवरात्र की सांस्कृतिक परंपराएं

नवरात्रि के दौरान भक्त मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा बड़े विधि-विधान से करते हैं। इस समय घरों में कलश स्थापित कर दुर्गा सप्तशती का पाठ आरंभ किया जाता है। देशभर में कई शक्ति पीठों पर मेले लगते हैं और मंदिरों में जागरण और मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की झांकियां बनाई जाती हैं।


पौराणिक मान्यताएं

शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि के दौरान भगवान श्रीराम ने देवी शक्ति की आराधना कर रावण का वध किया था, जिससे यह संदेश मिलता है कि बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत होती है।


मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा

पहला दिन- माँ शैलपुत्री पूजा 
यह देवी दुर्गा के नौ रूपों में से पहला रूप है। मां शैलपुत्री चंद्रमा का प्रतीक हैं और इनकी पूजा से चंद्रमा से संबंधित दोष समाप्त होते हैं।
दूसरा दिन- माँ ब्रह्मचारिणी पूजा 
ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार, देवी ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह को नियंत्रित करती हैं। इनकी पूजा से मंगल के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
तीसरा दिन- माँ चंद्रघंटा पूजा 
देवी चंद्रघंटा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं। इनकी पूजा से शुक्र के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
चौथा दिन- माँ कूष्मांडा पूजा 
माँ कूष्मांडा सूर्य का मार्गदर्शन करती हैं, जिससे सूर्य के कुप्रभावों से बचा जा सकता है।
पांचवां दिन- माँ स्कंदमाता पूजा 
देवी स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं। इनकी पूजा से बुध के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
छठवां दिन- माँ कात्यायनी पूजा 
देवी कात्यायनी बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करती हैं। इनकी पूजा से बृहस्पति के बुरे प्रभाव कम होते हैं। 
सातवां दिन- माँ कालरात्रि पूजा 
देवी कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं। इनकी पूजा से शनि के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
आठवां दिन- माँ महागौरी पूजा 
देवी महागौरी राहु ग्रह को नियंत्रित करती हैं। इनकी पूजा से राहु के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
नौ दिन- माँ सिद्धिदात्री पूजा
देवी सिद्धिदात्री केतु ग्रह को नियंत्रित करती हैं। इनकी पूजा से केतु के बुरे प्रभाव कम होते हैं।


नौ रंगों का महत्व

नवरात्रि के दौरान हर दिन का एक विशेष रंग होता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इन रंगों का उपयोग सौभाग्य लाने के लिए किया जाता है।
प्रतिपदा- पीला
द्वितीया- हरा
तृतीया- भूरा
चतुर्थी- नारंगी
पंचमी- सफेद
षष्टी- लाल
सप्तमी- नीला
अष्टमी- गुलाबी
नवमी- बैंगनी


इस साल शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व

शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से होता है और इसका समापन आश्विन शुक्ल नवमी के दिन यानि महानवमी को होता है। इस साल तृतीया तिथि दो दिन है, जिससे शारदीय नवरात्रि 10 दिनों की हो गई है।


10 दिनों की शारदीय नवरात्रि

पंचांग के अनुसार, इस बार शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू होकर 1 अक्टूबर को महानवमी के हवन के साथ समाप्त होगी। 2 अक्टूबर को विजयादशमी मनाई जाएगी। शास्त्रों के अनुसार, 10 दिनों की नवरात्रि विशेष फलदायी मानी जाती है।


नवरात्र में घर लाने वाली चीजें

श्रृंगार का सामान
मां दुर्गा को श्रृंगार करना बहुत पसंद है। विवाहित महिलाओं के लिए यह शुभ माना जाता है कि वे नवरात्र के दौरान लाल चुनरी और सुहाग का सामान खरीदकर देवी को चढ़ाएं। 
मिट्टी के बर्तन और कलश
कलश स्थापना का विशेष महत्व है। इसके लिए मिट्टी का उपयोग करना पवित्र माना जाता है।  
तुलसी का पौधा
तुलसी का पौधा घर लाना अत्यंत लाभकारी माना गया है। यह सुख-समृद्धि लाने वाला माना जाता है।  


शारदीय नवरात्र में खाने की चीजें

फल- व्रत में ताजे फल जैसे केला, सेब, अनार, पपीता, अंगूर, तरबूज, संतरा, और अमरूद खा सकते हैं।
सब्जियां- आलू, शकरकंद, अरबी, कद्दू, लौकी, खीरा, और कच्चा केला व्रत में खाई जा सकती हैं।
खा सकते हैं ये आटे- कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा, और समा के चावल का उपयोग किया जाता है।
डेयरी की चीजें- दूध, दही, पनीर, और घी का सेवन किया जा सकता है।
नमक- व्रत में सामान्य नमक की जगह सेंधा नमक का प्रयोग किया जाता है।
अन्य खाने की चीजें- साबूदाना, मखाना, मूंगफली, बादाम, काजू, और किशमिश भी व्रत में खाए जा सकते हैं।


शारदीय नवरात्र में न करने योग्य चीजें

अनाज और दालें- गेहूं, चावल, बेसन, सूजी, मैदा, और किसी भी तरह की दालों का सेवन नहीं करना चाहिए।
लहसुन और प्याज- ये तामसिक माने जाते हैं, इसलिए इनका उपयोग व्रत में वर्जित है।
सामान्य नमक- केवल सेंधा नमक का ही प्रयोग करें।
मांस और शराब- नवरात्र की पवित्रता बनाए रखने के लिए इनका सेवन वर्जित है।
तले हुए और मसालेदार भोजन- अधिक तले-भुने और मसालेदार भोजन से बचना चाहिए।
पैकेज्ड फूड और प्रोसेस्ड भोजन- इनका सेवन नहीं करना चाहिए।


शारदीय नवरात्र में ध्यान रखने योग्य बातें

यदि आप नौ दिनों का व्रत रखते हैं, तो इसे बीच में न तोड़ें। व्रत के दौरान दिन में सोने से बचें। दाढ़ी, बाल और नाखून काटने से परहेज करें। किसी का अपमान न करें और मन में बुरे विचार न लाएं।