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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी: 16 अगस्त को मनाने की तैयारी

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व इस वर्ष 16 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है, जिससे इसका महत्व और बढ़ गया है। जानें व्रत रखने के तरीके, पूजा विधि और इस दिन की विशेषताएं। इस पर्व पर भगवान श्रीकृष्ण की आराधना से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
 

जन्माष्टमी का महत्व और योग


जन्माष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग
हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष, पंचांग के अनुसार, 15 अगस्त को रात 11:48 बजे अष्टमी तिथि शुरू होगी और 16 अगस्त को रात 09:35 बजे समाप्त होगी। इसलिए, जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त को मनाया जाएगा।


इस दिन सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है, जिससे इस पर्व का महत्व और बढ़ गया है। जन्माष्टमी की रात भगवान श्रीकृष्ण की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। इस दिन, श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल की मूर्ति का पूजन करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। गृहस्थ लोग 16 अगस्त को उपवास रखकर भगवान श्री कृष्ण की पूजा करेंगे।


व्रत रखने के तरीके

व्रत रखने के 3 तरीके



  • निर्जला व्रत: इस व्रत में एक बूंद पानी भी नहीं लिया जाता, जब तक मध्यरात्रि में व्रत न खोला जाए।

  • फलाहार व्रत: इस व्रत में फल, दूध, मेवे और व्रत के अनुसार व्यंजन खाए जाते हैं।

  • आंशिक व्रत: इस व्रत में एक बार भोजन किया जाता है, जिसमें अनाज और सामान्य नमक नहीं होता।


संकल्प और शुभ मुहूर्त

व्रत प्रारंभ करने से पहले संकल्प लें


व्रत प्रारंभ करने से पहले एक विशेष प्रक्रिया होती है, जिसे संकल्प कहा जाता है। जन्माष्टमी की सुबह स्नान के बाद भगवान श्रीकृष्ण के सामने हाथ जोड़कर मन में संकल्प लें और कहें कि हे कृष्ण, मैं यह व्रत आपकी कृपा पाने और अपने अंतर्मन को शुद्ध करने के लिए कर रहा/रही हूं। कृपया इसे स्वीकार करें।


शुभ मुहूर्त


भगवान कृष्ण का जन्म मध्य रात्रि में हुआ था। इसलिए, जन्माष्टमी का उत्सव मध्य रात्रि में मनाया जाता है। इस वर्ष शुभ मुहूर्त 16 अगस्त को रात 12:05 से 12:45 तक रहेगा।


पूजन विधि

पूजन विधि


भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में आधी रात को हुआ था। इसी कारण, जन्माष्टमी पर मध्यरात्रि 12 बजे भगवान का अभिषेक किया जाता है। बाल गोपाल की प्रतिमा को दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल से स्नान कराया जाता है।


श्रीकृष्ण को रेशमी वस्त्र, अलंकार और मोरपंख से सजाया जाता है। एक सुंदर झूले पर बालकृष्ण को बैठाया जाता है और झूला झुलाया जाता है। भजन, कीर्तन और आरती से भगवान की भक्ति की जाती है। विधिवत पूजा के बाद माखन-मिश्री का प्रसाद ग्रहण करके व्रत खोला जाता है।


सुख-समृद्धि की प्राप्ति

सुख-समृद्धि की प्राप्ति


शास्त्रों के अनुसार, श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण मथुरा नगरी में राजकुमारी देवकी और उनके पति वासुदेव के आठवें पुत्र के रूप में अवतरित हुए थे।


मान्यता है कि जो व्यक्ति कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखकर पूजा-अर्चना करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही, इस दिन भगवान कृष्ण की आराधना करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।


अक्षय पुण्य की प्राप्ति

अक्षय पुण्य की प्राप्ति


जन्माष्टमी का व्रत रखने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन लोग भजन कीर्तन करते हैं और जन्मोत्सव मनाते हैं। मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है।