सावन पूर्णिमा: शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
सावन पूर्णिमा का महत्व
हर दिन की शुरुआत में पंचांग देखना हिंदू संस्कृति में एक महत्वपूर्ण परंपरा है। यह हमें शुभ और अशुभ समय, ग्रहों की स्थिति और महत्वपूर्ण त्योहारों की जानकारी प्रदान करता है, जिससे हम अपने दिन की योजना को बेहतर बना सकते हैं। 8 अगस्त 2025, शुक्रवार को सावन पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा, जो इस दिन को विशेष बनाता है। आज पूर्णिमा तिथि है, जो भगवान शिव और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं से युक्त होता है, और इस समय की गई पूजा विशेष फलदायी होती है। सावन पूर्णिमा के अवसर पर स्नान, दान और व्रत का विशेष महत्व है.आज के महत्वपूर्ण मुहूर्तों में शामिल हैं:
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह का सबसे शुभ समय, जब ध्यान और पूजा से विशेष लाभ मिलता है।
अभिजित मुहूर्त: दिन का सबसे शुभ मुहूर्त, जिसमें नए कार्यों की शुरुआत करना उत्तम होता है।
गोधूलि मुहूर्त: शाम का वह समय जब दिन और रात का मिलन होता है, पूजा-पाठ के लिए लाभकारी।
अमृत काल: इस समय किए गए कार्य सफल होते हैं.
आज के अशुभ मुहूर्तों में शामिल हैं:
राहुकाल: इस समय कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
यमगंड: यात्रा या महत्वपूर्ण निर्णय लेने से बचना चाहिए।
गुलिक काल: यह समय भी शुभ कार्यों के लिए प्रतिकूल होता है।
भद्रा: इस काल में मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं।
दिशा शूल: शुक्रवार को पश्चिम दिशा में दिशा शूल होता है, इसलिए इस दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए.
सावन पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा और माता लक्ष्मी की आराधना विशेष फलदायी होती है। चंद्रमा के उदय का समय महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसी समय चंद्रदेव को अर्घ्य दिया जाता है। पंचांग के अनुसार अपने दिन की योजना बनाएं और शुभ मुहूर्तों का लाभ उठाएं.